हाँ ये बिल्कुल सच है की अब दोस्त नहीं है,अब ज़िम्मेदारियाँ बेशुमार हैं,अब पाँव थक भी जाएं तो भी चलना है,अब वक़्त सख़्त है पर यही वो वक़्त है जहाँ मैंने ख़ुद को पाया,कभी कभी आप अपनों के लिए सब कुछ कर लें कम पड़ता है,पर कभी कभी हम जैसे लोग जो किसी से कुछ माँगते नहीं किसी का साथ मतलब के लिए नहीं चाहते उनको इस बात का एहसास होता है की वो ज़िन्दगी के वो कुछ लोग जिनसे इंसान मोहब्बत करता है वही लोग सबसे ज़्यादा आज़माते हैं,मैं ये नहीं कहती की मैं किसी की उलझन ख़त्म कर दूँगी, किसी के उन ख्यालों से छुटकारा दिला दूँगी जो उन्हें परेशान करते हैं या किसी के साथ साये की तरह रहूँगी क्योंकि ये काम दुनिया का कोई भी इंसान नहीं कर सकता किसी के लिए अपनी mental health पर ख़ुद काम करना होता है इंसान को, पर मैं इतना ज़रूर कहती हूँ की मुझे हर एक दर्द का एहसास होता है चाहे वो किसी का भी हो,हर एक ख़ुशी ग़म में मेरी दुआ सबके लिए रहती है और हर एक मुश्किल वक़्त में मैं हाथ थाम सकती हूँ अगर कोई अपना समझता है मुझे तो हर एक आँसू को मैं पोछ सकती हूँ,हर एक ग़म में बराबर खड़ी रह सकती हूँ, पर कभी कभी इंसान कुछ नहीं कहता ख़ामोश हो जाता है ख़ास कर जब अल्लाह ने उसको मोहब्बत करने वाला बनाया हो,और अल्लाह के सिवा उस इंसान को कोई नहीं जानता हो पर बात यही आती है की अल्लाह को सब पता है और मुझे लगता है ये इंसान के लिए काफ़ी है।।— % &
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