साबित क़दम उसूल-ए-इश्क़ में ग़र तू आती है।
फिर तेरे मेरे बीच ये हैसियत क्यों आती है॥
जाना दुनिया को दुनिया की नज़र से जब, तो जाना।
सच से बदबू और झूठ से खुशबु आती है॥
तक़दीर तो होती है भूखी प्यासी डायन।
सुकून पीती है और आरज़ू खाती है॥
अधूरे रास्तों से होते हैं तजुर्बे हासिल।
राइगाँ नहीं कोई भी जुस्तजू जाती है॥
जिसकी क़ुर्बत को तहज़ीब, ग़ुर्बत छू जाती है।
उसकी शराफत में भी ग़लाज़त की बू आती है॥-
Manzil Na Thi Tahzeeb, Mere Rasto'n Ki,Magar
Sabhi Raaste Hue Hain, Mere ... read more
Haay Mai Ab Kitna Badnaseeb Hu
Haay Mai Kitna Khushnaseeb Tha
Ab Wo Shakhs Mera Raqeeb Hai Tahzeeb
Kal Tak Jiska Mai Raqeeb Tha-
जो जानते हों बिछड़ जाने का दुख।
वो पास बैठे परिंदों को भी उड़ाया नहीं करते॥-
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दिल तन्हाई के दलदल में धंस्ता जा रहा है।
मगर दिल अभी पूरी तरह से डूबा थोड़ी है॥
हम अगर मर भी गए इस दलदल में डूब कर।
तो मेरा मर जाना भी कोई अजूबा थोड़ी है॥
मेरा हाथ थाम कर हम पर एहसान न जताओ।
मेरा वुजूद किसी एहसान का भूखा थोड़ी है॥
हम तहज़ीब किसी की मिन्नत समाजत भी क्यों करें।
आप महबूब ज़रूर हैं महबूबा थोड़ी हैं ॥-
यकीन मानो जनाब, कोई यकीन नहीं मानता।
जब हम कहते हैं, हम गए हैं भूल उसको॥
सारी दुनिया को तहज़ीब, हो गया यकीन मेरे इश्क पर।
बस जो मेरा यकीन है, हम नहीं हैं कुबूल उसको॥
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तन्हाई ही मयस्सर होती है तहज़ीब, अक्सर उनको।
जिन्हें कभी महफ़िलों से लगाव होता है॥-
हर बुराई से तहज़ीब, जो है हमें रोकती।
बड़ी किस्मत से मिलती है ऐसी हमें दोस्ती॥-
किसी के लिए तो ये महज़ मज़ाक होता है।
तो कोई इस में जल जल कर ख़ाक होता है॥
आख़िरत का सुन सुन कर ख़ौफ़ मर चुका है।
इन्हें बताओ तहज़ीब, कि दुनिया में भी हिसाब होता है॥-
हमने देखा है तहज़ीब मर्ज़ी के भी ख़ुदा होते हैं।
साथ चलते-चलते लोग ऐसे ही नहीं जुदा होते हैं॥
थोप देते हैं, ये इल्ज़ाम मुक़द्दर और मजबूरी पर।
चूंकि इन से इश्क़ के तकाज़े नहीं अदा होते हैं॥-