Tu mujhe fir shuruat ki tarah mil jaa
Teri kami khalne lagi hai…💔❤️🩹-
एक सफ़र कुछ ऐसा चाहती हूँ
अच्छा हो या बुरा बस तेरा साथ चाहती हूँ
तुझी से रूठ कर तेरे ही पास आना चाहती हूँ
ख़ुशियों से भरा अपना एक आशियाना बसाना चाहती हूँ
दुनिया का कोना कोना तेरी नज़रों से देखना चाहती हूँ
तेरी तारीफ़ पर इतरा कर दिखाना चाहती हूँ
झुकी क़मर में लाठी नहीं तेरा हाथ थामना चाहती हूँ
ज़िंदगी तेरे बाद नहीं चाहती इसलिए कफ़न तेरे हाथ से पहनना चाहती हूँ-
हुआ सब तेरी मर्ज़ी से है,
हम गफ़लत में रहे के सोच समझ कर फ़ैसला लिया है.
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तुम इतना क्यों चाहते हो उसको…
यार भले वो,
सब कुछ मुझसे पूँछ कर नहीं करती,
पर बताती सब कुछ है…-
ये मेरी आख़िरी नाराज़गी है तुमसे,
अब हर जवाब मुस्कुरा कर मिलेगा…-
मुझे तवज्ज़ो चाहिए तुम्हारी,
वक़्त तो तुम खाने की table पर mobile चलाते हुए भी देते हो…-
वक़्त- वक़्त की बात है, के वक़्त नहीं लगा,
जब वो कहा करते थे के तेरी बातों में वक़्त का पता नहीं चलता
से लेकर
तेरी बातों के लिये वक़्त नहीं है मेरे पास…
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