QUOTES ON #क़िर्तास_ए_ज़ीस्त

#क़िर्तास_ए_ज़ीस्त quotes

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20 OCT 2024 AT 19:26

तेरे इश्क़ में मदहोशी छाने लगी…
हम तेरी बाहों में खो गए…

होश कहाँ है अब दुनिया का…
इश्क़ का दरिया पार कर गए…

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23 OCT 2024 AT 16:15

किसी उदास चेहरे पर मुस्कुराहट…
दिल में उम्मीद की हो आहट…
ग़र दुनिया में किसी को खुशी दो…
तो तुम एक प्रेरणा हो…

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(रेस्ट जोन)
(तस्वीर विश्लेषण)
(वो छोटी सी बच्ची)

वो छोटी सी बच्ची जो मेरे अंदर छुप गई…
मुझे उसकी तलाश में फिर निकलना होगा…

जब बदल गया है मेरे रिश्तों का रूप रंग…
थोड़ा ही सही मुझे अब तो बदलना होगा…

हर कदम पर मिले जो रहजन हैं सभी…
किसी को मान कर अपना कुछ दूर चलना होगा…

रहने न दिया मुझको मासूम दुनिया ने…
जज्बातों की आग में कब तक जलना होगा…

ढूँढते हुए अपना बचपन खो गई हूँ मैं…
अनजाने रास्तों पर चलते हुए संभलना होगा…

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26 NOV 2024 AT 19:07

हृदय में उठने वाला प्रेम जब निस्वार्थ हो जाए…
किसी के जीवन के लिए मन में त्याग हो जाए…

किसी के माथे पर जब तुम्हारे दर्द पर शिकन पड़े…
पिता हो या हो माता, हर हृदय में ममता हैं…

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10 DEC 2024 AT 12:33

तुम्हारे पैरों के ज़ख़्म बता रहे है कि तुम्हारा तजुर्बा क्या है…
दर्द-ए-दिल का सबब और आँखों की नमी की वजह क्या है…

देखता हूँ तेरे घर की टूटी हुई खिड़कियाँ इंतज़ार में खुली हुई…
पतझड़ की दहलीज पर उम्र खड़ी, पल में इस मरतबा क्या है…

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9 JUN 2024 AT 20:22

अतीत के पन्ने पर लिखा हुआ तेरा आज…
न जाने क्यों बदल गए है ज़िंदगी के अंदाज…

तुमने किया है कुछ गलत लिखा है एक जगह…
तुम्हारा दिल बन गया अब तुम्हारा हमराज़…

तुमने ठुकराया किसी को कोई तुम्हें ठुकरा गया…
अपना गम भुलाने के लिए बनते हो दिलनवाज़…

सियाह हो गया कोरा काग़ज़ तेरे गुनाहों से…
भूल गया था तू तो अपने ख़ुदा का रिवाज…

कोने कोने में बिखरे हुए है टुकड़े अतीत के…
होने जा रहा है तेरी नयी ज़िंदगी का आग़ाज़…

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11 MAY 2024 AT 12:49

जब अपने धोखा देते है तो गैरों से शिकायत कैसी...
दिल तोड़ने से पहले इनको चाहिए इजाजत कैसी…

जिनसे जोड़ लिया था हमनें ज़िंदगी का कच्चा धागा…
उनके लिए हमारी साँसें सिर्फ एक तिजारत जैसी…

बनकर हमदर्द हमारा, पल पल हमकों लूट लिया…
इनके हाथों में होगी हमारे दिल की हिफाज़त कैसी

दिखावे के सहारे काट दिया एक जीवन दुनिया में...
अब जब सच सामने आया है तो क़यामत कैसी…

अपनों ने ही बर्बाद कर दिया मेरा आशियाना…
मांग रहे है माफ़ी जो अब, उन पर इनायत कैसी…

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5 APR 2021 AT 10:30

आज़माकर ना देख मुझको ए ज़िंदगी
कि अब मैं इतना कमज़ोर नहीं हूँ अब
थक गया हूँ मैं इम्तिहान देते-देते तेरा
आज़माइशें भी दम तोड़ चुकी है सब

हो गई है इंतेहा अब तेरी बेरुखी की
कोई और उम्मीद बची ही नहीं मुझे
पार करके चला जाऊँगा मैं यह सफ़ऱ
तदबीर-ए-ज़ीस्त कुछ हासिल नहीं तुझे

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3 APR 2021 AT 19:35

शहनाई जो बज रही आँगन में दुल्हन सज रही होगी
हाथों में लाल सुर्ख मेहंदी और चूड़ी खनक रही होगी
इंतजार होगा आँखों में पिया के दीदार का एक पल को
आया सामने जो वो अचानक तो धड़कन बढ़ गई होगी

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5 DEC 2024 AT 21:32

कुछ कम नहीं है ये भी रूठने के लिए…
शीशे सा नाज़ुक है ये टूटने के लिए…

दिल है हमारा कोई खिलौना नहीं हैं…
जो आ गए ज़िंदगी में लूटने के लिए…

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