Akanksha Gupta (Vedantika)   (नज़्म-ए-वेदांतिका✍️✍️)
385 Followers · 149 Following

read more
Joined 27 May 2018


read more
Joined 27 May 2018

सन्नाटा अच्छा लगता है…
खुद से मिलने के लिए…

-



प्यार की भूख बढ़ती ही जा रही हैं…
मुलाकात की घड़ी करीब आ रही है…

-



आँखों ही आँखों में न जाने कितनी बात हुई…
मोहब्बत की गलियों में हर रोज मुलाकात हुई…

हम तो दिल लिए फिरते रहे उनके शहर में…
चलते चलते ही एक उम्र सुबह से शाम हुई…

चाँद भी भटकता रहा मेरे साथ तेरे दीद को…
उनकी जुल्फ़ों के साये में ज़िंदगी की रात हुई...

उनकी आँखों मे देखा हैं हमने अक़्स अपना…
बहुत दिनों बाद महफ़िल-ए-जज्बात हुई…

आँखों ही आँखों में न जाने कितनी बात हुई…
मोहब्बत की गलियों में हर रोज मुलाकात हुई…

-



जीने की हसरत दिल क्या करे…
जब किसी से इश्क़ करने लगे…

हो जाए बेगाना सारी दुनिया से…
किसी के ख़्याल में रहने लगे…

तन्हाई से भी अब शिकायत न रही…
खुद से ही हम बात करने लगे…

ज़माने से जिस वक़्त से जुदा हो गए…
रिश्तों के हालात तब से बिगड़ने लगे…

किसी के साथ जीना चाहता हूँ मैं…
चाहता हूँ कि कोई मुझे प्यार करने लगे…

-



मुझे मेरी ज़िंदगी में एक क़याम चाहिए…
चलते चलते थक चुका, आराम चाहिए…

कह सकूँ हाल-ए-दिल जो किसी से…
अपना कहने को मुझे वो नाम चाहिए…

बीच राह में अगर कभी मुझे लगे धूप…
छाया मिल सके ऐसा इंतज़ाम चाहिए…

किसी के इंतजार में उम्र यूँ ही गुजरी…
खुद को उलझाने के लिए काम चाहिए…

दिल्लगी का एक दौर हमने भी देखा…
चाय की चुस्कियों वाली एक शाम चाहिए…

-



ये उदासी न ज़िंदगी में…
किसी और के आए…
मेरे पीछे पड़ गए हैं…
अतीत के साए…

हर राज मोहब्बत का…
दफ़न इस दिल मे होगा…
अपना दर्द जमाने को…
अब क्या ही बताएं…

-



अच्छे भविष्य के लिए तू बस मेहनत कर…
गलत रास्तों पर तू कभी भी न आगे बढ़…

काम आती नहीं जादूगरी जीवन में कहीं…
ज़माने की जुबान पर फिर तू न फिसल…

कहने को बहुत ही आसान डगर होती हैं…
बिना परिश्रम के ज़िंदगी कहाँ सफल होती हैं…

भविष्य की चिंता में न कोई खोटा काम कर…
ठहर जा तू सफ़र में कहीं औऱ थोड़ा विश्राम कर…

आप ही बन जाएगा भविष्य बस मेहनत कीजिए…
हर कामयाबी होगी तेरे क़दमो में, संभल कर चल…

-



तेरी ख़ूबसूरती के आगे फीके सारे नज़ारे हैं…
बेक़रार हुई धड़कनें हम हुए तेरे दीवाने हैं…

शहर दर शहर भटक रहे हैं बन गए कवि…
गली गली में मिलते मेरे जाने पहचाने हैं…

हर कोई ग़ाफ़िल हैं तेरी महफ़िल में देख…
तेरी आँखों को देख खाली हुए मयखाने हैं…

कोई देखता है नक़्श तो कोई तेरी अदाएँ...
हमारे तो दिल के उलझ गए ताने बाने हैं…

मोहब्बत में देखा है हमने लोगों को बर्बाद…
इश्क़ की गलियों में बन गए नए ठिकाने हैं…

-



न रुठिये इस तरह से के मोहब्बत का गुलाब मुरझा जाएगा…
आपका दिल जिसका ठिकाना हैं, वो आशिक़ भला कहाँ जाएगा…

-



छपवा दो अखबार में मेरी गुमशुदगी की ख़बर…
तेरे सिवा पढ़ता नहीं कोई मैं वो इश्तिहार हूँ…

मैंने देखा नहीं कोई ख़्वाब कभी तेरे बिना…
फिर भी आ जाए तेरे बिना नींद, गुनाहगार हूँ…

(मेरी शेष रचना अनुशीर्षक में…)

-


Fetching Akanksha Gupta (Vedantika) Quotes