Akanksha Gupta (Vedantika)   (Nazm-E-Vedantika✍️✍️)
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Joined 27 May 2018


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Joined 27 May 2018

अधूरी बातें है और अधूरी रातें है…
हम आसमान ताकते रह जाते है…

मिलती नहीं तेरी खबर हवाओं से…
तन्हाई में अश्क़ हम अक्सर बहाते है…

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तेरी मोहब्बत में आसमान कम लगने लगा…
जो कभी था हक़ीक़त आज भरम लगने लगा…

ये इश्क़ है या है तिलिस्म तेरी अदाओं का…
ज़ख़्म भरने लगे हर घाव पर मरहम लगने लगा…

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मैं एक पंछी
हूँ नील गगन का
उड़ रहा हूँ

यात्रा है लंबी
क्या पता मुझे अब
कि मैं कहाँ हूँ

सब छूट गया है
बस तू जहाँ भी है
मैं तो वहाँ हूँ

पहुँच न सके
कोई भी वहाँ पर
कि मैं जहाँ हूँ

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इन वादियों में महक घुली है तेरे इत्र की…
होने लगे मदहोश हम तो फिर हैरत क्या…

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YESTERDAY AT 17:31

कैसे जुड़े अब टूटा हुआ दिल…
ज़िंदगी की न रही कोई मंजिल…

अलग हो गया हूँ तन्हा दुनिया में…
साँसों का अब न कोई साहिल…

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YESTERDAY AT 16:42

ये दुनिया किसी की सगी तो नहीं है
सुनकर सिसकियाँ तेरी जगी तो नहीं है

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काग़ज़ पर लिखता हूँ बस तेरा नाम…
नाम पर तेरे लिखा है एक ही पैगाम…

पैगाम में लिखी है हजार ख्वाहिशें…
ख्वाहिशें तुझे पाने की करे बदनाम…

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(रेस्ट ज़ोन)
(अनकही बातें)

अनकही बातें जो होती है ना…
कभी ख़ामोशी तो कभी निगाहें…
कह जाती है…

अनकही बातें जो होती है ना…
वक्त निकलने पर अक्सर अधूरी…
रह जाती है…

अनकही जो बातें होती है ना…
कभी मुस्कान तो कभी नमी बन…
बह जाती है…

ये अनकही बातें बहुत है जो…
आज भी कुछ लफ़्ज़ों के इंतज़ार में…
अनकही रह जाती है…

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लिखी है तुझको पाती भेजी नहीं…
तड़प हमारी किसी ने देखी नहीं…

तू ही हर लफ़्ज़ बन गया है मेरा…
हर नज़्म हूबहू याद रहती नहीं…

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(रेस्ट ज़ोन)
(मेल-मिलाप)
सुनाकर अपनी....कहानी अमर हो)

सुनाकर अपनी दास्ताँ ये जिंदगानी अमर हो…
तेरे नाम के सहारे गुजरी ये जवानी अमर हो…

लोग क्या जाने मोहब्बत के और नाम भी…
इश्क़ की गलियों में एक अनजानी अमर हो…

बन जाए मकान मेरा इबादतगाह तेरी…
तुझसे जुड़ी हुई हर निशानी अमर हो…

एक यादगार बन जाए उसके नाम…
तेरे साथ-साथ वो दीवानी अमर हो…

बरसों तक चले इश्क़ की ये किस्सागोई…
सदियों तलक़ यूँ ही कहानी अमर हो…

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