QUOTES ON #हिन्दुस्तानी_ग़ज़ल

#हिन्दुस्तानी_ग़ज़ल quotes

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30 AUG 2020 AT 15:00

#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल
मदद मज़लूम की करना ख़ुदा का काम है यारो ।
ख़ुशी बाँटो जहाँ में तुम यही पैग़ाम है यारो ।

मुहब्बत के लिये जीना मुहब्बत के लिये मरना,
ख़ुदा से हो मुहब्बत तो, तुम्हारा नाम है यारो ।

बिना उम्मीद के मिलती, जहां हर चीज है हमको,
उसी के दर पे अब होती, सुबह से शाम है यारो ।

लगाकर अक्ल करने से, सफल सब काम होते हैं,
बिना सोचे करे जो शख़्स, वही नाकाम है यारो ।

उसे मानो उसे पूजो जहां में एक बस वो है,
मिले उससे यहां सबको, खुशी बेदाम है यारो ।

करो खिदमत अगर तुम भी, किसी लाचार रोगी की,
भुला नेकी किया जो भी, यही निष्काम है यारो ।

ग़ज़ल जो लिख रहा हूं मैं, नहीं उसका कोई सानी,
फलक अवधेश का है अब, ये चर्चा आम है यारो

अवधेश सक्सेना
शिवपुरी मध्य प्रदेश

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2 SEP 2020 AT 12:36

#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल #अवधेश_की_शायरी #हिन्दुस्तानी_ग़ज़ल
#हिमालय_को_पिघलना_चाहिए_था

हिमालय को पिघलना चाहिए था ।
ज़रा सूरज चमकना चाहिए था ।

अटरिया पर बने इन घोंसलों में,
परिंदों को चहकना चाहिए था ।

मुहब्बत थी अगर हमसे कभी तो,
उन्हें इजहार करना चाहिए था ।

सदर पे आ गई कितनी चमक है,
शहर को भी निखरना चाहिए था ।

खिले हैं फूल गुलशन में सनम के,
उन्हें अब तो सँवरना चाहिए था ।

पतंगा जल रहा था प्यार में जब,
शमाँ का मोम बहना चाहिए था ।

उन्होंने प्यार में धोखा दिया तो,
तुम्हें उनसे झगड़ना चाहिए था ।

अगर वो पास में आ ही गए थे,
उन्हें कस के जकड़ना चाहिए था ।

खिलौना मांगने अब खेलने को,
कोई बच्चा मचलना चाहिए था ।

अवधेश कुमार सक्सेना - 02092020
शिवपुरी मध्य प्रदेश

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6 SEP 2020 AT 21:24

#ग़ज़ल

#अवधेश_की_ग़ज़ल
#हिन्दुस्तानी_ग़ज़ल
#अवधेश_की_शायरी

#कली_खिली_जो_जरा_चमन_में

कली खिली जो जरा चमन में ।
भ्रमर खुशी से उड़े गगन में ।

महक बहेगी कहाँ कहाँ अब,
गली गली में घुली पवन में ।

यहाँ अभी जो बहार आई,
हसीन दिखते सभी सपन में ।

झलक जरा सी हमें दिखा दो,
बसा रखेंगे तुम्हें नयन में ।

असर हमेशा बना रहेगा,
अगर कहो सच मिला बचन में ।

सजन सलौना चला गया तो,
बदन जलेगा विरह अगन में ।

किलो पढ़ो तब लिखो मिली तुम,
वजन बढ़ेगा ग़ज़ल कहन में ।

(*किलो और मिली इकाई मात्रा वाले शब्द हैं ।)

अवधेश कुमार सक्सेना-06092020
शिवपुरी मध्य प्रदेश
Awadhesh Kumar Saxena

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1 SEP 2020 AT 12:34

#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल
#प्रेम_रस_का_गीत_फिर_गाना_हमें

प्रेम रस का गीत फिर गाना हमें ।
अब उसे हर हाल में पाना हमें ।

हम हमेशा आपके ही साथ थे,
आपने कुछ देर से जाना हमें ।

आप जो भी काम बोलो वो करें,
पेट भरने चाहिए दाना हमें ।

आज भागीरथ हिमालय से कहे,
अब नई गंगा बहा लाना हमें ।

भूख खुशियों की लगी थी जोर की,
ज़िन्दगी के गम पड़े खाना हमें ।

ठोकरें खाते रहे थे राह में,
अब जहां भर ने खुदा माना हमें ।

आपकी खातिर जमाने से लड़े,
मारते हो आप ही ताना हमें ।

खूब अपनापन दिखाकर आपने,
कर दिया फिर आज बेगाना हमें ।

अवधेश कुमार सक्सेना -01092020
शिवपुरी मध्य प्रदेश

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31 AUG 2020 AT 23:43

#ग़ज़ल

#तीरगी_जब_इधर_हो_गई

तीरगी जब इधर हो गई ।
रोशनी तब उधर हो गई ।

तंगहाली हुई क्या ज़रा,
अजनबी हर नज़र हो गई ।

आशना तो मिला ही नहीं,
पर कहानी अमर हो गई ।

काम थोड़ा हमें जो मिला,
बस हमारी गुजर हो गई ।

हम भटकते यहां आ गए,
अब यहीं पे बसर हो गई ।

बोझ ढोते रहें ता उमर,
आज टेड़ी कमर हो गई ।

जो कभी था सुहाना सफ़र,
आज मुश्किल डगर हो गई ।

अवधेश कुमार सक्सेना -31082020
शिवपुरी मध्य प्रदेश

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