#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल #अवधेश_की_शायरी #हिंदुस्तानी_ग़ज़ल
#पास_में_हमको_बिठाया_कीजिए
पास में हमको बिठाया कीजिए ।
कुछ सुनो फिर कुछ सुनाया कीजिए ।
जब निराशा घेर ले तुमको कभी,
आस का दीपक जलाया कीजिए ।
आपके बिन हम नहीं रह पाएँगे,
यूँ नहीं हमको पराया कीजिए ।
मत लुटाओ आप दौलत इस तरह,
वक्त आड़े को बचाया कीजिए ।
साथ बीबी के रहोगे चैन से,
नाज नखरे भी उठाया कीजिए ।
रात गहरी नींद उड़ती हो कभी,
ख़्वाब में हमको बुलाया कीजिए ।
रो मचल सर पर उठाए आसमाँ,
हाथ झूले में झुलाया कीजिए ।
दूध का हो खून का या प्यार का,
कर्ज़ जो भी हो चुकाया कीजिए ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 24092020
शिवपुरी मध्य प्रदेश-
#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल
#अवधेश_की_शायरी
#हिंदुस्तानी_ग़ज़ल
#आज_बीरान_हैं_जो_शहर_थे_यहाँ
आज बीरान हैं जो शहर थे यहाँ ।
खण्डहर से हुए हैं जो घर थे यहाँ ।
वो वहीं से हमें प्यार करते रहे,
हम मगर आज तक बेखबर थे यहाँ ।
छाँव जिनकी घनी मिल रही थी हमें,
अब नहीं दिख रहे जो शज़र थे यहाँ ।
हाथ खाली हुए बंद धंधे सभी,
था उसे काम जिसमें हुनर थे यहाँ ।
राह मुश्किल बड़ी दूर मंज़िल खड़ी,
हमसफर था नहीं पर सफ़र थे यहाँ ।
झुक गई है कमर झुर्रियाँ पड़ गईं,
देख जर्ज़र हुए जो अज़र थे यहाँ ।
कँपकँपा रहे सर्द दिन थे कभी,
साथ में गर्म से दोपहर थे यहाँ ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना-18092020
शिवपुरी मध्य प्रदेश-
#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल #अवधेश_की_शायरी #हिंदुस्तानी_ग़ज़ल
#आस_के_दीप_पास_जलते_हैं ।
आस के दीप पास जलते हैं ।
दूर गम के चिराग बुझते हैं ।
फोन देता नहीं ज़रा फ़ुर्सत,
अब कहाँ हम किताब पढ़ते हैं ।
तुम करो बैंक में जमा खुशियाँ,
हम भी गम बेमिसाल रखते हैं ।
झोंक देते तमाम ताकत हम,
तब कहीं ये इनाम मिलते हैं ।
रात भर नींद क्यों नहीं आती,
ख़्वाब अच्छे बुरे मचलते हैं ।
काम करते ख़राब वो अक्सर,
इसलिए ही सवाल उठते हैं ।
कुछ भी हासिल हमें नहीं होता,
आजमाईश खूब करते हैं ।
बेवफा याद जब हमें आते,
आब-ए-चश्म तब निकलते हैं ।
कर्ज़ का बोझ चढ़ गया सर पर,
इससे दबकर किसान मरते हैं ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 24092020
शिवपुरी मध्य प्रदेश-
#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल #अवधेश_की_शायरी #hindustanigazal #हिंदुस्तानी_ग़ज़ल
#जीतना_हो_अगर_युद्ध_अधिकार_का
जीतना हो अगर युद्ध अधिकार का ।
तब मिलेगा तुन्हें साथ परिवार का ।
लुत्फ़ भी तो लिया था कभी प्यार का,
अब मज़ा भी चखो आप तक़रार का ।
और कुछ कर सको या नहीं कर सको,
पूछ लेना कभी हाल बीमार का ।
सीख बिल्कुल सही दे रहे आपको,
थाम लेना कभी हाथ लाचार का ।
हर सुबह शाम में फ़र्क़ कितना दिखा,
वो पलटते रहे पेज अखबार का ।
बेच सकते यहाँ हर नई चीज तुम,
भाँप लोगे अगर मन खरीदार का ।
रोज जाने लगे मंदिरों में सनम,
ये तरीका लिया ढूँढ़ दीदार का ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 17002020
शिवपुरी मध्य प्रदेश-
#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल
#हिंदुस्तानी_ग़ज़ल #अवधेश_की_शायरी
#वक्त_अपना_यूँ_नहीं_जाया_करो ।
वक्त अपना यूँ नहीं जाया करो ।
कामयाबी के हुनर पैदा करो ।
दूसरों को ही फ़लक दिखला रहे,
खुद के वारे में कभी सोचा करो ।
तुम ख़ुदा के बाग के इक फूल हो,
बाँटने ख़ुशियाँ यहाँ महका करो ।
ये मिली है बस तुम्हें इक बार ही,
ज़िन्दगी से तुम नहीं शिकवा करो ।
सुन चुके हम ढेर सारी आपकी,
बात छोड़ो काम भी अच्छा करो ।
देश में अब चैन से सब रह सकें,
सैनिकों का हौसला ऊँचा करो ।
मामले पल में सुलझ जाते सभी
छोड़ झगड़ा प्यार से चर्चा करो ।
हो गई गलती अगर तुमसे यहाँ,
शर्म डर की बात क्या तौबा करो ।
जीतना गर चाहते हो खेल में,
हो बढ़ा कितना हदफ़ पीछा करो ।
अवधेश कुमार सक्सेना -02092020
शिवपुरी मध्य प्रदेश
*हदफ़=लक्ष्य-
#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल #अवधेश_की_शायरी #हिंदुस्तानी_ग़ज़ल
#भागती_मुश्किलें_और_डर_देखिए ।
भागती मुश्किलें और डर देखिए ।
माँ करे दुआ तो असर देखिए ।
रूठना छोड़कर मुस्कुराओ जरा,
इक नज़र प्यार से फ़िर इधर देखिए ।
देख मौसम हुआ फ़िर सुहाना बहुत,
साथ उनके किया जब सफ़र देखिए ।
पास उसके रहें डर नहीं है हमें,
छोड़ वो भी रही सात घर देखिए ।
तुम तरसते रहे देखने को जिसे,
बाद मुद्दत मिले आँख भर देखिए ।
हर तरफ़ आग ही फैलती दिख रही,
देख पाते नहीं हम उधर देखिए ।
ज़िन्दगी आप का नाम ले कट रही,
जान हाज़िर करूँ इक नज़र देखिए ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना-24092020
शिवपुरी मध्य प्रदेश-
#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल #अवधेश_की_शायरी #हिंदुस्तानी_ग़ज़ल
#दूर_हो_तुमने_बना_लीं_दूरियाँ
दूर हो तुमने बना लीं दूरियाँ ।
रास मुझको आ रहीं तनहाइयाँ ।
हार दुश्मन को मिलेगी अब यहाँ,
दोस्ती जीतेगी सारी बाजियाँ ।
जब कभी गुस्सा बहुत आने लगे,
ठीक रहतीं तब बहुत खामोशियाँ ।
हम समझते हैं तुझे तू मत चला,
चल नहीं सकतीं तेरी चालाकियाँ ।
चाल है कोई बड़ी ये आपकी,
कर रहे इतनी यहाँ पर सख्तियाँ ।
खुद गिरोगे एक दिन इनमें कभी,
खोद नफ़रत की रहे जो खाइयाँ ।
जब बिगड़ता काम इनसे आपका,
मत करो फिर से वही तुम गलतियाँ ।
मिट गईं चिंता किसानों की सभी,
देख गेंहूँ की सुनहरी बालियाँ ।
ताल गहरा है बहुत मोती भरा,
तुम उतर कर नाप लो गहराइयाँ ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 20092020
शिवपुरी मध्य प्रदेश-
#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल #अवधेश_की_शायरी #हिंदुस्तानी_ग़ज़ल #hinfustanigazal
#मर्ज़_बढ़ते_रहे_पुराने_भी ।
मर्ज़ बढ़ते रहे पुराने भी ।
कुछ किया न असर दवा ने भी ।
कर रहे वो नई नई बातें,
हम सुनाते रहे फ़साने भी ।
पाप पे पाप जो किये जाता,
जाए गंगा में वो नहाने भी ।
रूठने पर कभी मनाता था,
वो लगा अब मुझे सताने भी ।
गलतियाँ भी बड़ी बड़ी उनकी,
अब बनाते बड़े बहाने भी ।
इंजी.अवधेश कुमार सक्सेना- 17092020
शिवपुरी मध्य प्रदेश-
#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल #अवधेश_की_शायरी #हिंदुस्तानी_ग़ज़ल
#क्या_पता_क्या_गिला_हो_गया ।
क्या पता क्या गिला हो गया ।
आशना क्यों ख़फ़ा हो गया ।
अब हमें होश आता नहीं,
क्या पिया जो नशा हो गया ।
हम वफ़ा पर वफ़ा कर रहे,
पर सनम बेवफा हो गया ।
आसरा इल्म सबको दिया,
फ़र्ज़ अपना अदा हो गया ।
ज़िंदगी में उन्हें पा लिया,
प्यार का सिलसिला हो गया ।
इश्क़ में जो ज़रा शक हुआ,
बीच में फासला हो गया ।
जो हुआ वो नहीं था सही,
ये गलत फ़ैसला हो गया ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना-24092020
शिवपुरी मध्य प्रदेश-
#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल #अवधेश_की_शायरी #हिंदुस्तानी_ग़ज़ल #आँसुओं_से_शमाँ_जलाई_है
आँसुओं से शमाँ जलाई है ।
तीरगी हर तरफ़ मिटाई है ।
वो लगा के चले गए ठोकर,
चोट गहरी किसी ने खाई है ।
ज़िंदगी में बहुत अँधेरा था,
रोशनी आपने दिखाई है ।
इश्क़ में क्या मिला हमें अब तक,
ये जवानी मगर गँवाई है ।
हो गए दूर वो नज़र से पर,
याद उनकी नहीं भुलाई है ।
हो गया इश्क़ अब उन्हें हमसे,
हमने ऐसी ग़ज़ल सुनाई है ।
दीप से दीप अब जलाए हैं,
प्रेम गंगा नई बहाई है ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 18092020
शिवपुरी मध्य प्रदेश-