गंगा की गोदी में पले बढे गौमाता का पय पान किया
जिसको दे दिया वचन समझो तन मन धन सब कुछ दान दिया-
उत्तर प्रदेश की काशी पवित्रता इसकी रूह हैं
जिस्म इसकी संस्कृति श्रृंगार इसका सुकून हैं
घाटो से संवरती है ये लहरों से निखरती हैं
महादेव के आशीर्वाद से ये नगरी हर पल चमकती हैं-
हिन्दी,हिंदुत्व मेरा परिचय,है गर्व मुझे मैं हिन्दू हूँ
प्रथमाणु सृष्टि का प्रथम बीज मानवता जिससे हुई शुरू!-
जिससे बनती जीवन रेखा मैं अंतहीन वह बिन्दु हूँ
हिन्दी हिन्दुत्व मेरा परिचय है गर्व मुझे मैं हिन्दू हूँ-
शुभ धर्म ही जिनका शिरोधार्य और धर्म ही जिनका रक्षक है
पर धर्म निरपेक्ष अधर्मी का यह महाकाल सा भक्षक है-
धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में अलौकिक शंख बजाया था महाभारत के युद्ध बीच भगवान् श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का सन्देश सुनाया था
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हम खुश अपने घरों में
कितना कुछ हो रहा है देश में
ये वो कुत्ते हमारा खा हम पर गुर्राते है
क्यूंकि हम सेक्युलर कहलाते है
सच ही अधर्मी है हम
धर्म को कहां समझे सनम
हम तो जात पात में मिट जाते है
हिंदुत्व से अनजान हम
हिंदुत्व से पहचान सनम
धर्म पर चलकर नवीन भारत का सपना
खुद को मिटाकर करें संस्कृति की रक्षा
हम तो मनु स्मृति को भूल गए
वेदों को भुला नवीन राष्ट्र रचाया
वेदों को विदेशियों ने अपनाया
उससे कितना ज्ञान है पाया
क्यों न फिर वेदों की ओर चले हम
थोड़ा ही सही पर कुछ तो करे हम-
ठान लेे यदि तो असंभव कुछ भी नहीं
पर कमर कसना सही
कहीं बीच राह में रुक जाना नहीं
मुश्किलें तो पग पग पर सत्य की राह पर
बहुत कुछ त्यागना होगा सत्य की चाह पर
जो तैयार हो स्वयं के बलिदान को
आगे बढ़ो स्वयं दान को
देश ने बहुत कुछ हमको दिया
हमने अपनी धरोहर ही सही नहीं जानी
की खुद की मनमानी
अब भी वक़्त है सत्य को जान लो
जागो कि बस खुद को पहचान लो
हम वो श्रेष्ठ आर्य जो सब कुछ कर सकते है
जीवन को एक नया रूप दे सकते हैं
अपने बच्चों को अपनी संस्कृति से दूर न करे
उनमें घर पर ही सही संस्कृति के बीज धरे
हम ही एक नवीन राष्ट्र बनायेगे
नवीन राष्ट्र का सपना जो आंखों में सजाएंगे
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आज हमारे दिल से निकला
सनातनी स्वाभिमान
जाग उठा हिंदुत्व
रख लो उसका मान
दे दे हिंदुत्व के लिए अपने प्राण
स्वार्थी जीवन का कर त्याग
लो बस ओम का नाम
ना किसी से बैर
ना किसी पर अधिकार
जपो बस राम
शक्ति प्रदायिनी
यश दायिनी
बस है प्रभु का नाम
रोज जपने से हो जाय
सारे कष्टों से पार
जो हुआ लीन प्रभु में
उसका ही हुआ कल्याण
जोर से बोलो ओम
क्यूंकि ओम नाम ही बनाए बिगड़े काम-
कहीं से आए नहीं है हम
हमको है खुद पर मान
क्यूंकि हम दिव्य आर्य संतान
चलो फिर इतिहास दोहराते है
आपको एक सत्य बतलाते है
हम आर्य ही मूल भारतीय है
बाकी सारी जातियां तो यहां बसी है
सोने की चिड़िया भारत तो विश्व गुरु
सभी यहां आकर बसने लगे
कुछ व्यापार करने आए
कुछ युद्ध में जीत कर
यहां बसने वाली जातियां थी
शक, यूची, हूण, चीन, पठान, मुगल
तुर्क, अफगान जाने कितने लोग
यहां आते-बसते और घुलते-मिलते रहे
भारत ने सबको ही तो अपनाया
पर आज इसका सिला क्या पाया
वामपंथी हो सिर्फ एक धर्म ही मान रहे हो
हिंदुओ को कहां तुम तोल रहे हो
आज भी जो एक आर्य बिगाड़ जाएगा
तुमको तुम्हारी सही औकात बताएगा
मत लेना हमारी सहन शीलता की परीक्षा
बंद आंखों के बाद भी हम पृथ्वीराज ही है
जो आंख खोल ली हमने तो सोचो तुम्हारा क्या होगा?-