मेरा सब बुरा भी केहना,
पर अच्छा भी सब बताना,,
मैं जब जाऊँ इस दुनिया से तो
मेरी दास्ताँ सुनाना
ये भी बताना कि कैसे
समंदर जीतने से पहले
मैं ना जाने कितनी छोटी छोटी
नदियों से हज़ारों बार हारा,,
वो घर ,वो जमीन दिखाना
कोई मग़रूर जो कहे तो तुम
उसको शुरुआत मेरी जरूर बताना,,
बताना सफ़र की दुश्वारियां मेरे
ताकी कोई जो मेरी जैसी ज़मीन से आये
उसके लिए नदी की झार छोटी ही रहे
समंदर जीतने का ख्वाब,,
उनकी आंखो से कभी जाए नहीं
पर उनसे मेरी गलतियाँ भी मत छुपाना
कोई पूछे तो बता देना कि
मैं किस दर्जे का नकारा था,,
केह देना कि झूठा था मैं
बताना कि कैसे
जरूरत पर काम ना आ सका
इन्तेक़ाम सारे पुरे किए
पर ईश्क़ अधूरा रहना दिया
बता देना सबको कि
मैं मतलबी बड़ा था,
हर बड़े मुक़ाम पे
तन्हा ही खडा था,
मेरा सब बुरा भी केहना
पर अच्छा भी सब बताना
मैं जब जाऊँ इस दुनिया से
तो सबको मेरी दास्ताँ सुनाना ।।
#सुहेल_अंसारी❤️-
दिन सलीके से उगा
रात ठिकाने से रही
दोस्ती अपनी भी कुछ
रोज़ ज़माने से रही
चंद लम्हों को ही बनती हैं
मुसव्विर आँखें
ज़िन्दगी रोज़ तो
तसवीर बनाने से रही
इस अँधेरे में तो
ठोकर ही उजाला देगी
रात जंगल में कोई शमअ
जलाने से रही
फ़ासला, चाँद बना देता है
हर पत्थर को
दूर की रौशनी नज़दीक तो
आने से रही
शहर में सबको कहाँ मिलती है
रोने की जगह
अपनी इज्जत भी यहाँ
हँसने-हँसाने में रही
#सुहेल_अंसारी❤️-
जब वो इस दुनिया के शोर और ख़मोशी से क़त'अ-तअल्लुक़ होकर
इंग्लिश में गुस्सा करती है,,
मैं तो डर जाता हूँ लेकिन कमरे की दीवारें हँसने लगती हैं
वो इक ऐसी आग है जिसे सिर्फ़ दहकने से मतलब है,
वो इक ऐसा फूल है जिसपर अपनी ख़ुशबू बोझ बनी है,
वो इक ऐसा ख़्वाब है जिसको देखने वाला ख़ुद मुश्किल में पड़ सकता है,
उसको छूने की ख़्वाइश तो ठीक है लेकिन
पानी कौन पकड़ सकता है,,
वो रंगों से वाकिफ़ है, बल्कि हर इक रंग के शजरे तक से वाकिफ़ है,
उसको इल्म है किन ख़्वाबों से आंखें नीली पढ़ सकती हैं,
हमने जिनको नफ़रत से मंसूब किया
वो उन पीले फूलों की इज़्ज़त करती है,,
कभी-कभी वो अपने हाथ मे पेंसिल लेकर
ऐसी सतरें खींचती है
सब कुछ सीधा हो जाता है
वो चाहे तो हर इक चीज़ को उसके अस्ल में ला सकती है,
सिर्फ़ उसीके हाथों से सारी दुनिया तरतीब में आ सकती है,
हर पत्थर उस पाँव से टकराने की ख़्वाइश में जिंदा है,,
लेकिन ये तो इसी अधूरेपन का जहाँ है,
हर पिंजरे में ऐसे क़ैदी कब होते हैं,,
हर कपड़े की किस्मत में वो जिस्म कहाँ होती है...
#सुहेल_अंसारी❤️-
बदला न अपने-आप को जो थे वही रहे,
मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे,,
बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता,,
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता।।
#सुहेल_अंसारी❤️
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हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समुंदर मेरा
किस से पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ कई बरसों से
हर जगह ढूँढता फिरता है मुझे घर मेरा
एक से हो गए मौसमों के चेहरे सारे
मेरी आँखों से कहीं खो गया मंज़र मेरा
मुद्दतें बीत गईं ख़्वाब सुहाना देखे
जागता रहता है हर नींद में बिस्तर मेरा
आइना देख के निकला था मैं घर से बाहर
आज तक हाथ में महफ़ूज़ है पत्थर मेरा
#सुहेल_अंसारी ❤️-
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा,,
बे-वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगे,,
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ मिरी मंज़िल पे नज़र है
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा,,
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं,
तुम ने मिरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा
यारों की मोहब्बत का यक़ीं कर लिया मैं ने
फूलों में छुपाया हुआ ख़ंजर नहीं देखा,,
महबूब का घर हो कि बुज़ुर्गों की ज़मीनें
जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा,,
ख़त ऐसा लिखा है कि नगीने से जड़े हैं
वो हाथ कि जिस ने कोई ज़ेवर नहीं देखा,,
पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उस ने मुझे छू कर नहीं देखा।।
#सुहेल_अंसारी❤️-
कुछ ना कुछ सबमें कमी तो रह जाती है
मंज़िलें सब के भला कब हाथ आती है,,
ख़ुदा को पाने की हसरत लिए हर दिल है
दुआ क़बूल कहां सब की हो पाती है,,
इतना आसां नही है सितारों का सफ़र
हर एक ठोकर हमें बात ये बताती है,,
कौन बेदाग़ ज़माने से निकल पाया है
ये वो कालिख है जो अपना रंग दिखती है।।
#सुहेल_अंसारी❤️
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सर से चादर बदन से क़बा ले गई
ज़िन्दगी हम फ़क़ीरों से क्या ले गई,
मेरी मुठ्ठी में सूखे हुये फूल हैं,,
ख़ुशबुओं को उड़ा कर हवा ले गई,
मैं समुंदर के सीने में चट्टान था,
रात एक मौज आई बहा ले गई,,
हम जो काग़ज़ थे अश्कों से भीगे हुये,
क्यों चिराग़ों की लौ तक हवा ले गई,,
चाँद ने रात मुझको जगा कर कहा,
एक लड़की तुम्हारा पता ले गई,,
मेरी शोहरत सियासत से महफ़ूस है,
ये तवायफ़ भी इस्मत बचा ले गई....
#सुहेल_अंसारी❤️-
हां ये सच है कि मोहब्बत नहीं की
दोस्त बस मेरी तबीयत नहीं की,,
इसलिए गांव मैं सैलाब आया
हमने दरियाओ की इज्जत नहीं की,,
जिस्म तक उसने मुझे सौंप दिया
दिल ने इस पर भी कनायत नहीं की,,
मेरे एजाज़ में रखी गई थी
मैने जिस बज़्म में शिरकत नहीं की,,
याद भी याद से रखा उसको
भूल जाने में भी गफलत नहीं की,,
उसको देखा था अजब हालत में
फिर कभी उसकी हिफाज़त नहीं की,,
हम अगर फतह हुए है तो क्या
इश्क ने किस पे हकूमत नहीं की।।
#सुहेल_अंसारी ❤️-