मैं पुरुष हूँ...
धरती और स्त्री
दोनों का जन्म से
मृत्यु तक कर्जदार रहूँगा !
-
मैं नशे में हूं.....
तुम एतबार का
ताला बंद कर दो,
बंद कर दो
खिड़कियां दरवाजे
घर का उजाला बंद कर दो!
दीया जलाओ
नजर मिलाओ
आंखों से बात करो मुस्कुराओ,
चांद दिखेगा चेहरा तेरा
अपने मुंह का ताला बंद कर दो!-
किवाड़ ....
जो बंद होते हैं
लंबे अरसे से ,
यकीनन उनमें
प्यार बहुत होता है!-
पिता के हिस्से में आई नहीं छांव
हमेशा ही रहे उसके धूप में पांव!
बोल उसके सख्त और दिल नर्म
रूके ना कभी करता जाए कर्म!
गोद में बैठा कर जो बड़ा बनाता
बड़ा होने के बाद पर्दा सिखाता है!
खुद खेल में हार कर भी वो अपनी
संतान को जीतना सिखाता है !
मैले कपड़े पहन कर खुद अपने
बच्चों की ख्वाहिशें पूरी करवाता है!
गुजर जाते है पिता जिनके बचपन
में माँ ही उसका पिता कहलाता है!
कर्ज का बोझ सिर पर उठाकर
चुपचाप देर रात बाद सो जाता है!
मां रूठ कर कभी चली जाए बाहर
अपने हाथों से बना खाना खिलाता है!
सुशील कर्जदार रहेगा पिता का क्योंकि
उसके आशीर्वाद से जमाना मुस्कुराता है!-
सुनो!
मेरी आंखों की जलन से समझो
धरती में पानी की गहराई और बढ़ गई है |
सुशील ग़ाफ़िल 🍁-
दिलजले यात्राओं में कभी सोते नहीं ,
वो ढूंढते रहते हैं मरहम खिड़की से बाहर |-