QUOTES ON #सुब्रत

#सुब्रत quotes

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30 NOV 2017 AT 12:32

मुसाफिर हूँ मैं
मेरा क्या अरमान हो
एक बरगद का पेड़ घना सा
निर्मल नदी का बहाव हो
जहां करूँ आराम कभी मैं
या पीऊं मैं स्वच्छ पानी
देख हरयाली इस जहाँ की
कभी ना मुझमे थकान हो
जहाँ जाऊँ मिले सभी
आपस में प्रेम करने वाले
नहीं किसी में बैर कभी
ऐसा अपना हिन्दुस्तान हो
शेर हो या मेमना
पियें एक घाट पर पानी
नहीं कोई बड़ा- छोटा
सभी एक समान हो
ऐसा सुन्दर, ऐसा मनोहर
हमारा प्यारा हिंदुस्तान हो....!!

Date:- 30 नवंबर 2017©©

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सर्वस्व फैली अशांति, केवल होता शोर
अच्छे हैं कौवा बने, बुरे बने हैं मोर
बुरे बने हैं मोर, रहते सदा इठलाते
मन में इनके चोर, सभी को नृत्य नचाते
"सुब्रत" रहे सुनाय, दिखलाते ये वर्चस्व
अपना जग पर राज, चाहते रहे सर्वस्व..!!

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है अभिनंदन आपका, मातृभूमि पर वीर
गर्व रहेगा आप पर, हे शूर- शूरवीर...!!

दुश्मन के खेमे गये, रख अंगद सा धीर
जाँ की बाजी थी लगी, झुके नहीं पर वीर..!!

बने वही तो वीर हैं, हारते न विश्वास
जाँ जाये तो देश हित, है वीरों की आस...!!

सकुशल लौटें आप घर, लौटे तब मधुमास
सूख रहा था कंठ अब, लौट रही है आस...!!

लौटाना तय था अगर, लौट रहे हैं वीर
इस समय राजनीति तुम, करते क्यों बन कीर..!!

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24 AUG 2017 AT 12:57

तुम्हें कुछ राग सुनाता हूँ
कुछ अनुराग सुनाता है
इस जीवंत दुनिया की कुछ बात बताता हूँ
कर्म भूमि है ये धरती कर्म हमारी पूजा है
यही हमारा है कर्त्तव्य कोई काम ना दूजा है
पेड़ से गिरते हैं पत्ते मिट्टी आश्रय देता है
यही सिखाता है हमें
छोड़ दे तुझको कोई तो दूसरा श्रेय भी देता है
जो तुझमें साहस का संचार करे वो भय भी देता है
अगर उसको तुम पार किये आत्मविजय भी देता है
बचपन की बातों को तुम भूल जाते हो तरुणाई में
वही बुढ़ापा फिर तुम्हें दोनों की याद दिलाता है
पुनर्जन्म या स्वर्ग की बातें किसने देखा है मर के
तेरे कर्मों का वो हिसाब तेरे जन्मों में ही करता है
मशवरा है तुझसे "सुब्रत" करना ऐसी ना भूल तुम
जो दूसरे को देख कर जले
वो खुद की आग में जलता है....।।

Date:- 24 अगस्त 2017©©

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कितना मनमोहक रूप तुम्हारा
पीताम्बर है तुमको प्यारा
बजाते हो तुम जब बाँसुरिया
खो जाये धुन में गोपियाँ और गैया
तुमने प्रेम का पाठ पढ़ाया
सारी दुनिया जपे राधे-कृष्णा
बड़ी अनुपम तेरी मुकुटिया
सर पर लगाये तूने मयूरिया
है प्यारा तेरा रूप कन्हैय्या
दोस्ती कैसी होती तूने बताया
नंगे पांव मिलने तू आया
देखी न गयी तुझे उसकी गरीबी
रंक से तूने उन्हें राजा बनाया
तेरी लीला कोई समझ ना पाया
मैं मूरख{सुब्रत} तेरे दर पे आया
करो पार जीवन की नैय्या
है तू ही मुझे सबमे प्यारा
करो उपकार हे मुरली वाला
है प्यारा तेरा रूप कन्हैय्या।।

Date:- 16 अगस्त 2017©©

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25 AUG 2017 AT 10:03

वो खेल कबड्डी का
खेल वो गुल्ली-डंडा का
कितना अच्छा था वो बचपन
गुड्डा-गुड़िया मिट्टी का

खेल था लुका-छिपी का
रेस था दौड़ा-धूपी का
कितना अच्छा था वो बचपन
गाड़ी बनाना मिट्टी का

पर्व तो होते थे कुछ खास
दीवाली की तो बात ही किया
पटाके फोड़ना दिन और रात
कितना अच्छा था वो बचपन
घरोंदा बनाना मिट्टी का

हर वो चीज़ छूटा जो बचपन में था
वो मज़ा कहाँ अब जो बचपन में था
माँ से लोरी नानी से कहानी
परेशान करना उन्हें सारी रात
देखी दुनिया देखे इसके सितम
वो जन्नत कहाँ जो बचपन में था
कितना अच्छा था वो बचपन
आशियाना बनाना मिट्टी का

Date:- 25 अगस्त 2017 ©©

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ज़िन्दगी को जीना है
तो ज़िन्दगी से सीखना होगा
अगर मंज़िल दूसरी ओर है
तो राह को भी उस ओर मोड़ना होगा
तैर पाओगे अगर कुछ ऐसा सिख जाओ
उल्टी धारा को अपने हौसले से चीरना होगा
हो फौलादी जिगर कभी जो ना झुक पाये
अपने इरादे से दुनिया को झुकाना होगा
तड़प जब हो देश पर मर मिटने की
कफ़न सर पर और सीने से मिट्टी को लगाना होगा
सदियों तक याद करेगा आर्यावर्त तुझको
अपने हुंकार से दुश्मन को झुकाना होगा
अगर फ़र्ज़ समझते हो माँ की सेवा करना
करती है आह्वान माँ भारती सुन लो
अपने खून से माँ का क़र्ज़ चुकाना होगा
अपने हुंकार से दुश्मन को झुकाना होगा

Date:- 1 अगस्त 2017 ©copyright©

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सादा जीवन सादा हो मन
सादा सबका आचरण
कण-कण में भगवान बसे हैं
हो निर्मल तेरा तन और मन
क्रोध कपट से दूर रहो तुम
खून खराबा मत करना
हर कोई तेरा अपना है
बेगाना किसी को मत कहना
अपनाओ तुम अच्छे आचरण
सफल होगा तेरा जीवन
सादा जीवन सादा हो मन
सादा सबका आचरण

Date:- 13 अगस्त 2017 ©

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मैं बैठा ट्रेन पर बस ये सोच रहा
समझ जाता हूँ क्यों ऐसी बातें
जो है अनकहा
हंसी ठिठोली से भरा हो भले बज़्म
किसी के दिल में टिस रहा कोई कसक
दिया दीदी ने जो है "शीशम" पर सबक
पूरी कर रहा मैं ये भी बेहिचक
कभी सुनता हूँ मैं दूसरों की बात
सफ़र-ए-आगाज़ में ट्रेन पर जो हूँ आज
फिर मिलता हूँ नयी कोई कविता के साथ
तब तक संभालता हूँ मैं अपने जज़्बात

Date:- 5 अगस्त 2017©

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तड़प कैसी होती है ?
जल से निकालकर मछली को पूछो
मुहब्बत कैसी होती है ?
फूलों से हटा कर भँवरे को पूछो
पता चलेगा वीरानियां कैसी खलती है
आँधी में गिरे पेड़ के किसी पत्ती से पूछो
होगा तुम्हें भी ईश्क यकीनन
जो करीब हो दिल के
नज़र कभी उससे मिला कर के पूछो।।

Date:- 4 अगस्त 2017 ©

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