रख लिया हूं मैंने,अब तो दिल पर पत्थर ,
कुछ मोम ने मुझको , पिघलना सिखा दिया था ।।
चलाया है उसने खंजर, बड़ी मासूमियत से मेरे दिल पर,
जिसको कभी खेल में मैंने , पैंतरा सिखा दिया था ।।
#सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज
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तुम बोलो तो, मैं ख़ुद का बुरा हाल भी कर लूं ।
काली आंखों को मैं, मेरे ख़ून से लुहलुहान भी कर लूं।।
और झूठी तसल्ली चांद तारों का मत लो मुझसे,
तुम बोलो तो इस पूरे शहर में मैं बवाल भी कर लूं ।।
#सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज-
अब तो गायब सा हुआ , ये था जो, जादू _ टोना ।
जब से आया है कहर बन के, ज़ालिम ये, कोरोना ।।
#सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज-
मैं दिन रात यारा, तुझे ढूंढता हूं,
तेरी चाहतों का असर ये हुआ है ।
पागल आवारा मुझे, कहने लगा ये ज़माना,
तुझको क्या अब तक, ना ख़बर हुआ है।।
#सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज-
ऐतराज सूरज के उदय से मुझको न था,
हमनें उजाले में बस , नकाब उतारा शायद ।
अधिकार सलाम करने की , ज़रूरत नहीं मुझको,
फक्र से कर लेंगे अंधेरे में गुजारा शायद ।।
#सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज-
कहां करत कोऊ, अब बरजोरी,
कहां मिलत हंसि , कै अब गोरी ।
राधे अरु, बिन साखियन के,
सूनी सूनी लागत अब होरी ।।
#सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज-
इन्सान का सबसे अच्छा मित्र,
ख़ुद उसका अपना दिल है।
जिससे वह जब चाहे जो चाहे ,
बात कर सकता है,
वह भी बीना किसी हिचकिचाहट के ।।
#सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज
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सच कहूं तो बहुत बचपना है तुम में ,
बस इसी बात पे मैं मरता हूं ।
यूं तो तेरी आदत सी हो गई है मुझे,
सच तो ये है कि तुझे खोने से डरता हूं ।।
#सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज-
शाख़ है तो फूल भी खिलेंगे, कल को,
अपनी इस शाख को, मेरी जान बचाए रखना ।
ये तो पतझड़ है, महज़ बात चन्द रातों की है,
अपनी हर रात में बस एक आस जगाए रखना ।।
#सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज-