1 MAY 2022 AT 13:52
मज़दूरी करते हुए लोग थकते नहीं,,
सहमे से रहते हैं किसी से कुछ कहते नहीं,,
रईशों की नुमाइश में खड़े रहतें है गैरों की तरह,,
कोई आब भी आ जाये मगर एक डग हटते नहीं,,-
मज़दूरी करते हुए लोग थकते नहीं,,
सहमे से रहते हैं किसी से कुछ कहते नहीं,,
रईशों की नुमाइश में खड़े रहतें है गैरों की तरह,,
कोई आब भी आ जाये मगर एक डग हटते नहीं,,-