मेरी तरह वो ख़्वाबों में खो नहीं सकती
जैसे रोता हूं छुप छुपकर वो रो नही सकती
वो आई थी अपने बाप को छोड़कर मेरे ख़ातिर
मैंने भी छोड़ दिया फिर उसे "हैदर"
जो बाप की ना हुई वो मेरी भी हो नहीं सकती
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अब की बार
जब तुम आओगे !
तुम पाओगे मुझमें
मेरी कविताओं में
अपनी विशेष स्मृतियां
उन पलो के एहसास
जो तुमने मेरे साथ
आहिस्ता आहिस्ता गुजारे थे ।
तुम पाओगे
मेरे जीवन को हरा भरा
प्रेम से परिपूर्ण कविताओं का संग्रह
जिसमें लिखी होगी
वो हर छोटी से छोटी बात
जो तुम से कहता था ।
तुम पाओगे
मुझे बहुत अलग
शायद पहले वाले से बहुत अलग
क्योंकि अब मैं
शान्त और खामोश रहता हूं
हाँ,पर बात अब भी सब से करता हूं ।
हो सकता है तुम पाओगे
मेरे बगीचे में पानी लगाने वाले को
जो नित्य सुबह से
तुम्हारे सारे काम करने लगेगा
जो तुम करने को कहते थे
सुबह की चाय
Lunch बॉक्स
Office से आने का इन्तजार
हाँ,तुम जो सोच रहे हो
वही सही है
तुम मुझे बदला हुआ पाओगे !-
सबतै बडे बोल़ीतरेड़ तो वैं माणस हैं जो न्यू सोच रे हैं के या लड़ाई स्यर्फ जमीन आल़्यां की है...
रै मखां हाम तो म्हारे खूडां मै बो कै खा ल्यांगे पर थारे खात्तर खाण जोगे दाणे खरीदणा बडा संकट होज्यागा...🙂-