QUOTES ON #शैज़_ग़ज़ल

#शैज़_ग़ज़ल quotes

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28 MAR 2020 AT 10:45

पड़ोसियों पर पैनी नज़र रखिये हर एक के अंदर मांगने का जज़्बा नही होता..

कुछ खुद्दार भी होते है..ऐसा न हो आपसे देर हो जाये
#LOCKDOWN

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12 NOV 2019 AT 10:16

यूसुफ अलैहिस्सलाम जानते थे कि सारे दरवाज़े बन्द है फिर भी बंद दरवाजे की तरफ दौड़ पड़े थे और खुदा ने एक एक करके सारे दरवाज़े खोल दिये।
कभी अगर लगे कि तुम्हारे लिए भी दरवाज़े बन्द है तो जान लो कि तुम्हारा और यूसुफ का खुदा एक ही है।
#सब्र

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9 APR 2020 AT 13:05

कोशिश करें ये साल ऐसे गुज़रे की अगले साल माफियां ना मांगनी पढ़ें !
शबे बरात

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27 MAR 2020 AT 11:22

#खिदमत

अनाज(खाने का सामान) बाटने वाले एक बात याद रखे ये चीज़े सरकार भी देगी आप लोग गरीब के घर 500-1000₹ के पॉकेट दे जिससे वे दूध,मेडिसिन(बच्चोंके)और भी डेली नीड्स खरीद सके।

बहोत गरीब परिवारो में आज दूध मेडिसिन के लिए पैसे नही है ना ही वे किसी से उधार माँग सकते है क्योकि इस मुश्किल वक्त जिससे उधार मांगेगे ओ भी तो घर पर ही बैठा है

इसीलिये कुछ तंज़ीम इन बातो पर ज़रूर तवज्जो दे ।

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23 SEP 2019 AT 17:55

ताना, ग़ुस्सा, शिकवा, तोहमत, काम क्या क्या है
ग़ज़ल तुझे पाने की ख़्वाईश में न जाने अंजाम क्या क्या है

दर्द, आँसु, तन्हाई, जुदाई, मक़ाम क्या क्या है
ए इश्क़ ! खुल के बता तेरा इंतक़ाम क्या क्या है

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17 DEC 2020 AT 17:05

बिना बदनामी का नशा किया करते है..

सुनो ग़ज़ल हम मासूम लोग सिर्फ़ चाय पीया करते हैं !!❤😋

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23 AUG 2019 AT 10:34

खुद को तन्हा न समझ न.....

ऐ नये दीवानो खाख सेहराहो की हमने भी उड़ा रखी है... !!
#जन्माष्टमी

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4 OCT 2019 AT 21:46

प्रेम क्या है ?
प्रेम एक एहसास है
जो प्रेमिका को मुस्कुराते देख
या फिर उसकी पलकों पर आंसू देख
जब आपका गला भर जाये!
मात्र एक एहसास जो
दुनिया भर की दौलत से नही खरीद सकते!
पैसा आपको खुशी खरीद के दे सकता है आनंद नही! खुशी पलभर हैं ..
आनंद स्थायी..
प्रेम मात्र आनंद देता है..! ❤ 🌹

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29 SEP 2019 AT 22:27

हवा में कुछ हैं तल्खियां शायद
आंधियों में हो अब बयां शायद

लफ़्ज खो आए हैं मानी अपने
बात कह दे ख़मोशियां शायद

कैसी गहरी उदासियां हैं अभी
नींद कुछ दे तसल्लियां शायद

घर में जिस्मों की आंच बाकी है
आज टूटा है आशियां शायद

उस जगह हर कोई अकेला है
जिस जगह हैं बुलंदियां शायद

ख़त लिखेंगे उन्हें सलीके से
आज कांपेंगी उंगलियां शायद

ध्रुव गुप्त

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11 DEC 2020 AT 9:47

ये मेरे शेऱ नहीं, मेरे ज़ख्म है "ग़ज़ल"

तुम्हारे नाम पर न जाने क्या -क्या सुना दिया मेने

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