मुंडेर पे बैठी चिड़िया देखे ,सब लोगों की करतूतें
कौन है जो दाना लायेगा, कौन निकाले बंदूकें
नजरों में सब छपता जाता है,अपने बच्चों पर है नजरें
दाना चुगती जल्दी जल्दी, सारी नजरें बंदूकें है
टूट ना जाए घोंसला उसका, रोज लगाती है तिनके
सब लोगों से रखती छुपा कर, बच्चे उसकी जानें है
अपनी जान को टांगे रखती, सूली उसका गहना है
अपने मुंह से दाना चुगाती, बच्चों को तो उड़ना है
आंधी आये तूफां आये, बच्चों को ना छू पाये
आंखें उसकी जागती रहती, नींद ना उनमें आ पाये
बच्चों को है उड़ना सिखाती, जानती है ये उड़ जायेंगे
फर्ज पे मरती कर्म वो करती,और तो सब देखे जायेंगे
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माँ से ही इस धरा पर दुनिया का अस्तित्व
बनाती है माँ बच्चों को शानदार व्यक्तित्व
आशीर्वाद माँ का हम पर ईश्वर की रजा होती है
ईश्वर का रूप है जो करती है सबका कृतित्व
हर माँ की फिक्र रखनी है ताकि हो सुरक्षित मातृत्व
ताकि बना रहे इस धरा पर मानवता का अस्तित्व-
कभी कभी हम गलत
नहीं होते
बस वो शब्द ही नहीं होते
जो हमे सही साबित कर सके-
देख कर आज के रिश्तों की चाल,
अच्छे अच्छों ने रो दिया
सहज के रखा था जिन रिश्तों को,
उनको खेल खेल में खो दिया
संपत्ति जो जीवन भर की है,
जरा संभाल कर रखना दोस्तों को
छोटी छोटी बातों ने न जाने कितने,
सच्चे यारों को खो दिया
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अंधेरा है दिल में,कोई जुगनू चाहिए
भर दे खुशियों से झोली वो मन्नत चाहिए
क्या कमी होगी उसके जो दिल बड़ा रखता हो
ऐसा ही इक साथी हो,और वही हमसफ़र चाहिए-
न जाने क्यों ये दिल मुझ पर सितम ढ़ा रहा है
करूँ याद खुदा को तो चेहरा उसका दिखा रहा है-
और इस तरह सारा माहौल खराब कर दिया मैंने
जहाँ चुप था हर शख्स,वहाँ सवाल कर दिया मैंने
दुश्मन जान के अपने मैंने खुद ही बना लिये थे
बंद रखनी थी आंखें जहाँ,वहाँ सब बोल दिया मैंने-
शिक्षक बन गया है द्रोपदी का आधुनिक अवतार
पांच नहीं न जाने कितने विभाग बन गये भरतार
वो जो हर रोज रिश्वत लेते पकड़े जाते हैं सरकार
मुंह छुपाते हुए फोटो के जिनके छपते हैं अखबार
वो भी निंदा कर रहे थे कि इनका क्या सरोकार
पढ़ाते नहीं बच्चों को और आते हैं होकर फरार
पहले एक था दु:शासन अब बैठे हैं दु:शासन हर ओर
हंसकर चीरहरण करते हैं शिक्षक का जो हर रोज
पतन हो गया संस्कारों का,भविष्य दिखता अंधकार में
शिक्षक का सम्मान करो,वरना गर्वभंजन होगा कुछ रोज में
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अपने सूरज को जगाओ,अपनी राह खुद बनाओ
अंधेरे से लड़ना है तो खुद जुगनू बन जाओ
अंधेरे में ताकत है कितनी,जरा आंख तो मिला
कदम मंजिल की ओर बढा,अपनी राह खुद बनाओ
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जो बीत गया उस पर अफ़सोस नहीं करते
जो होना है होकर रहेगा,उससे डरा नहीं करते
कर्मों का हिसाब सबको देना है बस कर्म कर
जो गलत नहीं करते,वो परिणाम से भी नहीं डरते-