QUOTES ON #लघुकथा_आग

#लघुकथा_आग quotes

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30 NOV 2019 AT 8:27

"तुम आंदोलन नही करते?"
"जी नही में औरत हूं"

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11 SEP 2017 AT 20:37

"बधाई हो डॉक्टर साहिबा, आपकी बेटी ने तो देश का नाम रोशन कर दिया।"

"ये मेरी बेटी नहीं, तुम्हारी बेटी है जिसे तुम अस्पताल के बाहर फेंक कर चली गयी थी।"

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24 APR 2019 AT 8:17

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13 SEP 2018 AT 22:02

"क्या तुम कोई विदेशी भाषा सीख रहे हो?"

"हाँ।"

"अरे वाह, कौन सी?"

"हिंदी..."

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15 JAN 2018 AT 7:41

छत पर पतंग उड़ाते उड़ाते सूरज के नैन राशि से टकरा गये और मानो तिल को गुड़ मिल गया। पर ये प्रेम पतंग ज्यादा उड़ान नहीं भर पाई । राशि की शादी मकरध्वज से हो गयी। सूरज की पतंग कट कर किसी के छत पर जा गिरी थी। सूरज की जिंदगी का सूरज हमेशा के लिये दक्षिणायन हो गया था।

उसने पतंग उड़ाना छोड़ दिया, परन्तु वो अब भी छत पर जाता और घंटो उड़ती पतंगों को निहारता। आज मकर संक्रांति थी। सूरज छत पर था। आसमान में पंछियों से ज्यादा पतंगे थी। रंग बिरंगे पतंगों के बीच सूरज की नजर एक सफेद पतंग पर ठहर गयी। पतंग उसी के छत के ऊपर बहुत नीची उड़ रही थी। शायद कुछ लिखा था उसमें। सूरज ने पतंग खींच ली। ये राशि के ही अक्षर थे। उसकी नजर राशि की छत पर गयी। सफेद साड़ी में वो राशि को पहचान नहीं पाया था।

एक दुर्घटना में मकरध्वज ने अपने प्राण हराये थे। सूरज ने उस कटी पतंग से अपना मांझा जोड़ दिया।

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18 FEB 2018 AT 21:28

उसके जूते चमक रहे थे। कपड़ों की चमक भी देखने लायक थी। आँखों में भी एक अलग सी चमक थी। मगर उसकी दृष्टि जहाँ गड़ी थी उससे उसकी मन की मलिनता साफ दिखाई दे रही थी।

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30 OCT 2019 AT 19:43

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16 JAN 2018 AT 22:47

लेख हर रोज पुस्तक मेले में जाता, उसी स्टाल पर सारा वक्त खड़ा रहता जहाँ कविता की कहानियों की किताब थी। वो किताब को निहारता रहता; हर आने वालों से उसकी प्रशंसा करता; मगर किताब हाथ में नहीं लेता। एक बार छुआ था उसने कविता को और उनकी कहानी अधूरी रह गयी थी।

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18 MAR 2019 AT 16:25

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19 NOV 2019 AT 6:16

"तुम आन्दोलन नहीं करते?"

"जी नहीं, मैं गरीब हूँ।"

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