राष्ट्र सर्वोपरि :
जब राष्ट्र की रक्षा हमेशा सर्वोपरि रहती है, तभी उस देश के निवासी खुशी से रह सकते है, लेकीन सरकार की हर एक कार्रवाई को बस मजहब से नापा जाए तो समझ लेना यह एक कट्टरवाद के विचारधारा की नीव रखी जा रही है। किसी आतंकवादी संगठन पर हो रही कार्रवाई के विरोध में बस मजहब को सामने रखना और राष्ट्र के विचारधारा के खिलाफ जाना एक तरीके से देशविरोध ही है। समानता की बात आप शिक्षण, राजकीय क्षेत्र, ज्ञाय, औद्योगिक में करेंगे तो वह राष्ट्र के लिए हमेशा अच्छा रहता है लेकिन जब किसी मजहब के नाम बनी आतंकवादी संगठन के कार्रवाई से दुसरे बाकी के धर्म से जोडकर उनपर क्यों कार्रवाई नही करते ऐसा सवाल पुछ कर आप किस समानता की बात कर रहे है? मुझे लगता है मजहब/धर्म के आगे हम सभी में राष्ट्रभक्ति होनी चाहिए तभी बाहर के लोग हमारी एकता नही तोड पाएंगे!-
27 SEP 2022 AT 10:20
20 SEP 2019 AT 16:10
तानाशाही वाले देश में,
बगावत कौन कर पायेगा !
गर कहेगा कोई देश हित की बात,
वही देश द्रोही कहलायेगा !!
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5 AUG 2021 AT 17:42
जुल्मों सितम पर भूल गए, सब लिखना,
हम हैं बागी, हमारा काम बग़ावत लिखना,
ना तख्तों ताज की ख्वाहिश, हमारी है,
हमारी प्रवृत्ति है, राष्ट्र भक्ति पर लिखना।।-