पिता का आशीष लेके युद्ध मे मैं जा रहा था
कह रहा था शत्रुओ को पीट कर आऊंगा
तिलक लगाके जो बहन ने किया विदा था
कह रहा था स्वानो को घसीट कर आऊंगा
माताजी ने माथा चुम पुरखो की लाज मांगी
कह रहा था शौर्य को अमिट कर आऊंगा
भाई ने गले लगाके जीत की खबर मांगी
कह रहा था सीमा पार तिरंगा फहराउंगा
जीत तो गया था मैं विजय की रथ माँगी
पर किसको पता था एक वचन चूक जाऊंगा
पत्नि ने वचन मांगा तुम्हे वापस आना है जी
पर किसे पता था तिरंगा लपेट घर आऊंगा
#शत_शत_नमन
#अमर_शहीद
#राजेन्द्र_सिंग
#कवि_तुषारजयहिंद-
19 MAR 2020 AT 2:38