फिर आज सूरज को घेर काले बादलों ने
सोचा होगा घात कर जीत बड़ी जीती है
पर जानते है सब ये भेड़ियों के भेष में
कौरवों के चाल की कुरीति वाली रीति है
काल फूल का रहा हो या पंजाओ का शासन
यहां तो हर आंख में गांधारी वाली फीति है
अब निंदा, संवाद छोड़ कर लो विवाद राजन
यहां एकमात्र हल अब तो कृष्ण वाली नीति है
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प्रखण्ड भारती को फिर अखंड कर देने हेतु,
प्राण ही आहुतियां जो अग्नि में पटक गए।
कर्ज माई के दूध का उतारने सपूतों ने जी,
जवानी में देशप्रेम की घुट्टिया गटक गए।।
ना लोभ मोह यश की अपेक्षाएं लिए हुवे थे,
ना गद्दियों की चाह, वो तो युद्ध मे चमक गए।
और मानके आजादी को दुल्हन शहीदों ने,
फंदे को चूमा और फाँसी में लटक गए।।
23 मार्च 1931
शहीदी दिवस💐
शत शत नमन💐
इंकलाब जिंदाबाद 🇮🇳
#कवितुषारजयहिन्द-
जैसे कंठ को शीतल करती हिम से निकली बहती सरिता
कुरुक्षेत्र के रण में जैसे कृष्ण के मुख से निकली थी गीता
धर्म ध्वजा लहराने को जो हमे अक्षर अक्षर बोध कराए
निरह प्राणी को जगा देती है मंच से कहने वाली कविता...
-विश्व कविता दिवस
-कवितुषारजयहिन्द-
ये डरना डराना मुहब्बत में क्यो
करो मुहब्बत तो खुल के करो
बस ईमानदार रहना मुहब्बत में मेरी जान
फिर मुहब्बत हद में करो या हद भूल के करो
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आँसू पलक पे आये मेरे पर बह ना सके
ख़ुदा कसम तुमसे पूछे बिना रह ना सके
की इतनी क्या थी नाराजगी हमसे मेरी प्यारी
की जाते वक्त एक आखिरी बाये तुम कह ना सके-
बड़ी बड़ी बातें करने वाले तो लाख होते है
जो जुबान का पक्का हो उसी के साख होते है
जो माँ को माँ बोले तो खून में शक नही करते
वैसे लोग ही तो देश के लिए हर बार राख होते है
तुम क्या बताओगे की कौम क्या सिखाती है
वो तो गर्वित करने वाले भारत के आंख होते है
जो मातृभूमि के लिए शहीद हों जाये हस्ते हस्ते
वो कौम से ऊपर जाकर साहब असफाक होते है
#अशफाक उल्लाह खान
#कवितुषारजयहिन्द
#जन्मदिवस-
ख्वाइशें उड़ानों की जो अंगड़ाई लेती है तो
भारती की बेटियाँ भी दम को बतायेगी
फिर चाहे थल हो या जल या नभ हो
बेटियां हिमालय में ध्वज फहराएंगी
दौर आज दौड़ने का लड़ने का भागने का
कम नही है लड़को से लडकिया बताएंगी
बात फिर मान की हो या शान सम्मान की हो
#राफ़ेल उड़ाके बेटी गगन चूम आएगी...
#कवितुषारजयहिन्द-
क्या किसी ने सरिता की धार रोक पाई है
जो बेटियों को उड़ने से तुम रोक पाओगे
जिन बेटियों ने सदा मान है बढ़ाया यहां
उनके इरादों को ना तुम सोख पाओगे
पांचाली का प्रण हो या त्याग माता पद्मिनी का
लक्ष्मी बाई की तरह दहाड़ते ही पाओगे
कल्पना बनेगी बेटी, पंख नही काटोगे तो
अंतरिक्ष मे गाड़ते तिरंगा देख पाओगे...
#कवितुषारजयहिन्द
#देश_की_बेटियो_को_नमन
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चेहरे सच नही बताते चेहरे पे चेहरा हु मैं
वक्त के साथ चला पर सालो से ठहरा हु मैं
एक बार तुम नाप भी लो समंदर की गहराई, मगर
मुझे नाप नही पाओगे इतना गहरा हु मैं ....
#कवितुषारजयहिन्द-
निडर प्रहर बन देश की आजादी हेतु
निकले अकेले गाँधीनीति ठुकराई थी
मिलती नही आजादी अहिंसा से आज तक
कौरव समक्ष कृष्ण नीति अपनाई थी
बोल दिया बापू को जी लक्ष्य है हमारे एक
पर नीति में है भेद राह दूजी अपनाऊंगा
लड़ने फिरंगियों से नेताजी सुभाष बोले
सबको मिलाके हिन्द फौज भी बनाऊंगा
पिच्यासी हजार तब सेना में थे नेताजी के
देश की आजादी हेतु कसमें भी खाई थी
रास नही आया क्यो देश के कुछ अपनों को
नेताजी की जासूसी क्यो उसने कराई थी
एक गाल हेतु दूजा गाल देने वाली नीति
पे नेताजी ने बोला सर्वस्व त्याग दूंगा मैं
गाल देने के बजाय पद छोड़ नेताजी बोले
तुम मुझे खून दो और आजादी दूंगा मैं....-