QUOTES ON #यूँ_ही

#यूँ_ही quotes

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1 APR 2020 AT 7:27

काश ज़िन्दगी की पायल में तेरी झनक होती
औऱ साथ तेरे इक राह दूर तलक होती,

मैं आँसु की तरह ही सफऱ कर लेता
जो मेरा ठिकाना तेरी पलक होती,

आख़िर कौन नहीं चाहता मरना सुक़ून से ऐ दिल
काश साँस आख़िरी औऱ तेरी इक झलक होती,

काश लिखता तूझे ख़ुदा मेरी तक़दीर में
या फिऱ यह रेखाएं ही हाथ की ग़लत होती,

काश ज़िन्दगी की पायल में तेरी झनक होती
औऱ साथ तेरे इक राह दूर तलक होती..!

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26 MAY 2020 AT 15:58

टहनी पे पत्ते..अच्छे थे ना..
जब हम फ़ासलों में भी.. इक्कठे थे,
तब मौसम कितने दिल के थे
हवा से हिलते थे..तो मिलते थे,

बारिश में एहसास की वो बूंदें
जो तुझ पे फिसल कर.. मुझ तक आती थीं,
वो धूप घनी बिरह की..जो मुझे छू कर
छाया बन तुझ तक जाती थीं,

सर्दी में बर्फ़ से वो लिपटे..स्पर्श वो कितने मीठे थे
तुम थे जो साथ मुहब्बत के तरुबर पे
..तो पतझड़ कितने बीते थे,

टूटे तो ..फिऱ सुख गये
पऱ गुजरे वक़्त के उन दरख्तों पे
वो पल कितने.. सच्चे थे ना
बोलो ना.. "टहनी पे पत्ते..अच्छे थे ना"

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14 JUN 2020 AT 20:50

'कितना कुछ था...
औऱ तुमनें यह कितने में गुजारा किया
रिश्ते क्या... इतने कम पड़ गये
जो आख़िर में एक रस्सी का सहारा लिया...,

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15 DEC 2019 AT 9:21

यादों में तेरा, अब भी वो जहाँ रखा है
चले आओ ना...
वो ख़ुशी वो आँसु वो हँसी, सब यहाँ रखा है,

तुम कहती थी ना, मैं ना रहूंगी तब पता लगेगा
सच था प्रिये...पऱ देखो ना आके,
वो टॉवल-जूत्ते-जुराबें, सब जहां था अब बहिं रखा है,

वो तेरा चिलाना यहाँ से होके ना जाना
फ़र्श अभी गीला सूखा नहीं है,
लो अभी-अभी पानी फर्शी पे
गिरा मेरी आंखों से...
तुम बताओ ना वो गुस्सा अब कहाँ रखा है,
यादों में तेरा, अब भी वो जहाँ रखा है..!

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25 JUN 2020 AT 11:52

आंखों में चिथड़े अंसुअन के
किसने धड़कन है.. लूटी सी,

मुहब्बत के इस जंगल में
इक टहनी है.. सूखी सी,

यादों के चौराहे पे
वो इक राह है.. छूटी सी,

मूर्छित सा हूँ मैं मुहब्बत में
साँस मेरी है.. टूटी सी,

उफ़्फ़.., जीने की तमन्ना है
औऱ वो इक संजीवनी.. बूटी सी..!

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2 DEC 2019 AT 16:21

"क़भी आख़िरी दिन अग़र हो मेरा
जनाज़ा रुख़सत इसकदर हो मेरा,

काश मुहब्बत में जफर हो जाऊँ
औऱ उसके कंधे पे आख़िरी सफ़र हो मेरा"

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23 OCT 2019 AT 15:03

फूलों की आग़ोश में, हम पत्तों सा होते थे,
मिलकर गले उनसे, हम बच्चों सा रोते थे,

आख़िर कब तक लिपटी रहती, बेलें शाखाओं से,
सहन नाज़ुक यह बोझ, कहाँ दरख्तों से होते थे,

हमनें ही बीज बोया, हमनें ही आंसुओं से सींचा,
उस पेड़ के ही साये में, हम लपटों से होते थे,

फूलों की आग़ोश में, हम पत्तों सा होते थे,
मिलकर गले उनसे, हम बच्चों सा रोते थे..!

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17 JUL 2020 AT 15:23

दूर अपनों से ही भागा होगा
यह आँसु भी कितना अभागा होगा,

रिश्तों का सच किसी मलंग-साधु से पूछो
शायद उसे किसी अपने ने ही त्यागा होगा,

जाने क्या ढूंढता है रात भर जुगनू
इकतरफा ऐसा भी क्या वादा होगा,

देखने उसे सारी रात गुज़र जाती है
वो भी क्या मेरे लिये जागा होगा,

झपकियाँ ले ले के दिन निकाला है
कम्बख़्त आज फिऱ चाँद आधा होगा,

जख़्म पक जायेंगे तो अपने आप ही भर जाएंगे
ना कुरेदो रहने दो अभी दर्द जादा होगा..!

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30 JUN 2021 AT 21:33

दिल पा के उसे... खोना सीख गया
आख़िर अपनी क़ीमत.. खिलौना सीख गया,

पहले आंसुओं से दूर-दूर तक कोई रिश्ता ना था
अब हर किसी के ग़म में.. दिल .. रोना सीख गया,

जागते थे.. क़भी.. आरजू-ए-मुहब्बत में
पऱ अब दिल बेपरवाह ख़्वाइशों से..
...चैन से सोना सीख गया,

ख़ुशक इतने हुए हम.. उसकी जुदाई में
के अब मेरा आँसु भी.. जल के राख होना सीख गया,

तू.. सिलती जा "ज़िन्दगी" मेरे.. उधड़े सपनें
के अब मैं कोशिशों की बारीक सुई में..
...धागा पिरोना सीख गया!!

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6 FEB 2020 AT 8:50

बफा जिससे थी, अब उसकी बेबफाई भी पसंद है मुझको
अब उसकी रोशनी की परछाई भी पसंद है मुझको,

चुप-चाप रहना और मुस्कुराना अब अच्छा लगता है
अब गम अपना, ख़ुशियाँ पराई ही पसंद है मुझको,

उफ़्फ़...इक ख़्वाब ही रहा ताजमहल बनाने का
पऱ चलो मुहब्बत में, अब यह रुसवाई ही पसंद है मुझको,

उससे कहना के अब आके रोया ना करे कब्र पे मेरी
बड़ा चुभता है यह शोरगुल, अब यह तन्हाई ही पसंद है मुझको...!

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