कुछ कुछ ओझल होने लगी है रौशनी मन की
लिखावटें भी मिटने लगी हैं राजसी यौवन की
भूलने लगा हूँ सारे फ़साने सारी पुरानी बातें
एक टीस है बाकी मेरे दिल में तेरे अपनेपन की
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19 JAN 2022 AT 15:33
कुछ कुछ ओझल होने लगी है रौशनी मन की
लिखावटें भी मिटने लगी हैं राजसी यौवन की
भूलने लगा हूँ सारे फ़साने सारी पुरानी बातें
एक टीस है बाकी मेरे दिल में तेरे अपनेपन की
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