हर पल याद आता हैं
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तेरे गुलदस्ते को एक नया गुल मिल गया अच्छा हुआ ।
तेरे मेरे दरमियां जो भी हुआ, बेशक बहुत अच्छा हुआ ।।
एक रोज़ तुझे मेरी गलतियों का मतलब समझ आएगा
भले आज मुझे समझ में आया, पर ये भी अच्छा हुआ ।।-
कर बैठे हैं खता वही
हम फिर से,
कर बैठे हैं इश्क
हम फिर किसी से..✍️आनन्द"-
बात तू सुन सबकी,
मगर बात सबकी मत तू मान,
ख़ुदको पहचान,
सिर्फ खुद की ही तू मान..✍️ आनन्द"-
कौन जाने मसला ये कब तलक
यूं ही सिलसिलेवार चले,
पहले की आरज़ू है मुकर्रर तारिख पे वो' हर माह मिले,
और दूजे की ख्वाहिश है कि
सरकारी मुलाजिम की तरह मुकर्रर तारिख पे उससे एक तनख़ाह उसे हर माह मिले...✍️आनन्द"-
"क़ितना भी मशरूफ कर लो तुम खुद को, 🤔🤨😗
मेरे नाम का एक लम्हा तुम्हारा वक़्त तो जरुर चुराता होगा,,"!⏱-
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किसी के यकिं का
तो किसी के भरोसे' का प्रतीक' हो तुम,
विश्व में समाज' और परिवार' का,
उम्मीद' और एतबार'हो "पुरूष तुम"..✍️आनन्द"
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इश्क एकतरफा था हमारा,
स्कूल के जमाने में,
और जब रूठा हुआ मैं दिख रहा हूं देख तुमको,
तो तुम देर फिर क्यूं कर रहे हो मनाने में..✍️आनन्द"
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