इक गुनाह किया मैनें ...
सब पर भरोसा किया मैनें
दिल खोलकर रखती रही
मैं पगली !अपने ही दर्द को
कुरेदती रही
आज अश्क भी मुस्कुरा रहे
शायद!ये भी हमें गुनहगार
बतला रहे-
यहाँ हर आदमी दूसरे के हाथों गिरवी मालूम होता है
हँसता है किसी की वजह से रोता है किसी की वजह से
ख़ुद का ख़ुद पे अख़्तियार खोता मालूम होता है
दिल है धड़कता किसी के लिए फिक्र में जागता किसी के लिए
आदमी का भरोसा खुदा से उठता मालूम होता है
अपनी बर्बादी का जिम्मेदार कोई और नहीं 'मणि' हर आदमी अपनी जगह है सही
अपना ही दीमाग दिल के हाथों हुआ बर्बाद मालूम होता है
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लफ्ज़ भी वही है कलम भी वही है
कलमकार भी वही है
बस जगह बदल गई है-
किसी की भी अच्छाइयों की बातें कभी नहीं फैलती,
पर किसी की गलतियों की बातें ऐसी फैलती है
जैसे जंगल मे आग फैलती है!
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ना जाने कहाँ खो गई वो रात जब चैन की नींद सोया करते थे,
अब तो बस काम और जिम्मेदारियों का बहाना याद आता है,नींद की तो कोई बात ही नहीं करता!
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कभी किसी को दुःख मत पहुंचाना,
फिर वो चाहे कोई भी क्यों न हो,
दुश्मन को भी नहीं क्योंकि,
सब के कर्म का हिसाब रखा जाता है,
जो जैसे कर्म करेगा वो वैसे पाएगा!-
बस हाल ही नही मिलता उसका मेरे हाल से,
वरना शख्स तो वो भी बेहतरीन है।।-
एक बार दिल टूटने पर ये प्यार पर कभी विश्वास ना था,
जब तक तूम हमें ना मिले तब तक हम टूटे रहे!!!!!-
तुम्हें इश्क ही ना था हमसे,
इसलिए ही तुमने हमें छोड़ा,
बेवफाई तो किया ही है तुमने
हमेशा की दूरी क्यों नहीं बनाते,
थोड़ा-थोड़ा करके मत तड़पाओ
हमेशा के लिए छोड़ दो हमें,
अब जीना भी सीख लिया तुम्हारे बिन!-
अगर आप किसीकी मदद करते हो,
और वो आपको भूल जाए तो,
कभी निराश मत होना,
आप बस मदद करते रहना और
एक दिन आपके अच्छे कर्म आपके साथ होंगे!-