आत्मा निकल जाती जब काया से, मिट्टियां ही रोतीं हैं,
शब्द जब निकल जाते लेखन से, तो चिठ्ठियां ही रोतीं हैं.....
किस कश्मकश में जल रहा, तूं रोशन सा चिराग बना,
लौ बुझ जाया करती दीपक से, फिर बत्तियां ही रोतीं हैं.....
#मेरीकलमसे
#राहुलयादव
#निशब्द-
कस्ती टूट चुकी थी, किनारा कहां पाना था,
जमाने की हंसी में, शामिल ये सारा ज़माना था.....
प्रभु की महर हुईं किनारे हम फ़िर उतर गये,
हमारे साथ दुआओं में, सानिध्य मेरा घराना था.....
#मेरीकलमसे
#राहुलयादव
#निशब्द-
आज उसकी नज़रों को मैंने ना गुज़ार कर दिया,
वो देखते उम्मीदों रहम से, मैंने प्रतिकार कर दिया.....
क्यों ना दूं उसे उसके किये की सजा मेरे निशब्द,
मैंने किये थे पुण्य जो, उसने उसे गुनहगार कर दिया.....
कल तक मेरी नजरों में ऐसे मचल जाया करते थे,
रहते थे दूर खड़े प्रायः, नैनो से मिलने आया करते थे.....
अपने जज्बातों को काबू करके मुद्दत हम बन गये,
उसने लगाई आग जेहन में, बर्बाद संसार कर दिया.....
आज उसकी नज़रों को मैंने ना गुज़ार कर दिया,
वो देखते उम्मीदों रहम से, मैंने प्रतिकार कर दिया.....
#मेरीकलमसे
#राहुलयादव
#निशब्द-
हर बार अपने गुनाहों को कुछ इस तरह से धो लेता है,
जब थू - थू हो जाये ज्यादा, घड़ियाली आंसू रो देता है.....
ना है देश की चिंता, ना कभी तरक्की की तरफ गया,
मैं तो फ़कीर हूं! कह झोला उठाकर सरपट हो लेता है.....
#मेरीकलमसे
#राहुलयादव
#निशब्द-
तेरी हर मगरूर फितरत को हम सलाम करते हैं,
तुझे आत्मसात कर आप, खुद को तेरे नाम करते हैं.....
तुम्हारा हौसला बढ़े मेरे साथ हर क़दम दर कदम,
स्वयं को बिछाकर कदमों में तेरे, सरे आम करते हैं.....
#मेरीकलमसे
#राहुलयादव
#निशब्द-
किसी दिवस तुझे भी होगा बोध, अमुक तेरा वजूद क्या था,
जिसे तू कर रहा आज जाया, उसका सूद क्या था.....
माना कि मिलेंगे तुझे कई पथिक प्रायः तेरा साथ देने वाले,
किसने दिया आधार सदैव, साथ में मौजूद क्या था.....
#मेरीकलमसे
#राहुलयादव
#निशब्द-
ह्रदय टूटने के बाद कुछ अमुक लिखने चले आते हैं,
यार की बाहों से छूट कर यहां दिखने चले आते हैं.....
साथ रह होते गिले शिकवे से मिलते हैं कई जज़्बात,
कोई कद्र नहीं पिछले की, सब बिकने चले आते हैं.....
#मेरीकलमसे
#राहुलयादव
#निशब्द-
गरीबी में जीने वालों के मजबूर से मकाम होते हैं,
बच्चे खेलते धूल - धूप में, फटे परिधान होते हैं.....
करते भरसक मेहनत, जीते समाज की गुलामी में,
उनका फूटा घर, अमीरों के ऊंचे मकान होते हैं.....
#मेरीकलमसे
#राहुलयादव
#निशब्द-
ब्रह्मांड में व्याप्त जो शक्ति है!!!
उस निर्गुण, निराकार, सगुण परमपिता परमात्मा का आवाहन करना और उसे खोजना हमारे लिए कौतूहल भरा होना चाहिए... और रही बात उसके भौगोलिक, ब्रह्मांड में विद्यमान होने के तर्क की तो वो हमारी सोच से परे है...
भौतिक, रासायनिक, थल, नभ, जल, जय, विजय इन सब में उसकी छाया को महसूस कर लेना ही जीवन के सफल होने का प्रमाण है......
#मेरीकलमसे
#राहुलयादव
#निशब्द-
अक्सर पथिकों की राहें सतापों से मजबूर होती हैं,
उजली सी डगर मिलती, कभी तिमिर से चूर होती हैं.....
कभी मिलते नुक्स जैसे सह हकीमों के हर मरहम,
अक्सर अपनों के खंजरों की धार से ये नासूर होती हैं.....
#मेरीकलमसे
#राहुलयादव
#निशब्द-