नापसंद बारिश
क्यों उसे पसंद नहीं है भीगना बारिश की बूँदों में,
जबकि वो तो पहले.......
चद्दर की छत के नीचे इन्हीं बूँदों से खेला करती थी|
क्यों पानी जैसे बिखरे है उसके सपने इस कदर,
जो बरसाती रातों में भी जगकर.......
परिवार संग बिस्तर समेट एक कोने में बैठा करती थी|
वक्त के साथ शांत हो गई क्यों उसकी खिलखिलाहट,
जो टप टप करती हुई.......
बारिश को बर्तनों से कभी कमरे में समेटा करती थी|-
फिल्मी दुनिया में रहने वालो, वक्त तुम्हें भी आईना दिखायेगा|
ना तुम सिमरन बन पाओगे, और ना ही कोई राज आयेगा|
माँ बाप तो दूर की बात, पहले भाई तुम्हें थप्पड़ लगायेगा|
आशिक को शादी में तुम्हारी, कोई घर में नाचने तो ना बुलायेगा|
शादी के दिन गर तुम भागे,
तो बाप जा सिमरन जा......
कहने स्टेशन तक तो ना आयेगा|
तुम्हारे दो चार भावुक प्रवचनों से, ना ही ये समाज सोच बदल पायेगा|
दुनिया एक हक़ीक़त है जिसमें, तुम्हारे प्रेम को कभी कोई नही अपनायेगा|-
जरूरी है हम,
तो वक्त निकल ही जायेगा|
फ़ुर्सत नहीं ज़रा सी,
ये झूठ कभी ज़बान पे ना आयेगा|
किसे बनाते हो बेवकूफ,
तुम आज कल........
जिसने परखा हो तुम्हें,
वो इस बेरुखी को समझ ही जायेगा|-
वक्त के साथ कहीं ये हालात बदल ना जाए
मुझे ये डर है कि तेरे जज़्बात बदल ना जाए-
जब से तेरी चाहत की गुलाबी धूप मुझ पर छायी है
प्रेम के रंगों से मैने अपनेे जीवन की रंगोली सजाई है-
आज फिर उन सुनहरी यादों ने खटखटाया है दरवाज़ा मेरा ,
जिसमें माँ-बाप ने सिर्फ आशीर्वाद के लिए था हाथ फेरा |
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झूठ के सिरहाने पर सर रखकर ,
नींद में
मीठे ख़्वाबो का भ्रम देखा नहीं जाता |
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हर हफ्ते एक छुट्टी मिलती थी,
जिसे दिनभर बस खेल कूद में गवाया था|
एक धुंधली सी याद बची है,
कि बचपन कितना सुकून में बिताया था|
(Read in caption👇)-
मन मंदिर में आप बसे हो,
कैसे मैं समझाऊ|
महिमा अपरंपार तुम्हारी,
कि बस तुम्हरहे ही गुण गाऊ|
जो सुकून मिला है तेरे दर पर,
क्या दिल चीर के मैं दिखलाऊ|
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बुरा नही कोई इस दुनिया में ,
बस सबके हालात अलग है सीखा मैने|
धड़कनो से नवाज़ा खुदा ने सबको ,
बस सबके जज़्बात अलग है सीखा मैने|
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