अपनी आंखों से देख के सब
कैसे बन कर अंजान लिखूं।।
अपनी आंखों से देख के सब
कैसे बन कर अंजान लिखूं।।
मैं सत्य लिखूं या सब की तरह
बस ' मेरा देश महान ' लिखूं।।
Part 1
To be continued...-
तैतीस करोड़ भगवानों से भी
बढ़कर है कुछ लोग यहां।।
जो ऊपर ऊपर से थामे है
ब्रह्मचर्य और जोग यहां।।
जो झाको इनके भीतर तो
सब राज दिखाई देते है।।
काली सी गुफा में ज्ञान नाम पर
करते है बस भोग यहां।।
कैसे भगवान के चोले में
बसते हैं यहां सैतान लिखूं।।
मै सत्य लिखूं या सब की तरह
बस ' मेरा देश महान ' लिखूं।।
Part 7
Last but not the end...-
यहां फौजी भूखे रहते हैं
और नेता दावत खाते हैं।।
बैंकों से अरबों लूट लोग
परदेशों में बस जाते हैं।।
ईमान धर्म गैरत जमीर
बेमतलब सारे शब्द यहां।।
घोटालों पर घोटाले अब तो
रोज सामने आते हैं।।
कैसे इन मोटी चमड़ी के
पशुओं की मैं पहचान लिखूं।
मैं सत्य लिखू सब की तरह
बस ' मेरा देश महान ' लिखूं।।
Part 6
To be continued...-
दूजे प्रांतों को अक्सर ही
दोषी ठहराया जाता है।।
और छोड़ तिरंगा , अपना ही
झंडा फहराया जाता है।।
अरे , अपना उल्लू सीधा करना
बस इससे मतलब सब का है।।
और राजनीति के खेल से
नफरत को गहराया जाता है।।
इन राज्यों के गठबंधन भर को
कैसे मैं हिंदुस्तान लिखूं।।
मै सत्य लिखूं या सब की तरह
बस ' मेरा देश महान ' लिखूं।।
Part 3
To be continued...-
आजकल के लोगों को तो
अपने आप से ही बस मतलब है।
लोकतंत्र के राज में भी तो बस
सत्ताधारी की ही हुकूमत है।
औरों की क्या बात करूं
जब अपने ही फरेबी है।
इंसानियत से इंसान ही जब
मिलो दूर रह जाते हैं।
इस मतलबी दुनिया को क्या
बदलाव का नया उपचार लिखो।
मैं सत्य लिखूं या सब की तरह
बस "मेरा देश महान" लिखूं।
Part 8-
लोकतंत्र क्या होता है बस
पूछ कर देखो दुनिया वालों से
आधे से भी ज्यादा दो
बस सर खुजलाते रह जाएंगे।
बदलाव के नाम पर जनता को
बस बलि का बकरा समझा जाता है।
कभी जीएसटी तो कभी टैक्स
हर चीज का दाम बढ़ाया जाता है।
इस अविनायशील शासन को मैं
कैसे देश का सम्मान लिखूं।
मैं सत्य लिखूं या सभी की तरह
बस "मेरा देश महान" लिखूं।
Part 9-
यहां भाषा , राज्य , धर्म , जाति पर
इंसान बाटे जाते है।।
हिन्दू हो सिख़ या मुस्लिम हो,
दंगों में कटे जाते है।।
यहां नफ़रत हावी है इंसान के
सारे ही जज्बातों पर।।
और खून से सीचित खेतो में,
बस बोए कटे जाते है।।
इस खून सनी धरती को
क्यों ना प्रेम का कब्रिस्तान लिखूं।।
मै सत्य लिखूं या सब की तरह
बस ' मेरा देश महान ' लिखूं।।
मै सत्य लिखूं या सब की तरह
बस ' मेरा देश महान ' लिखूं।।
Part 2
To be continued..-
सदियों से दुर्गा काली और
लक्ष्मी को पूजा जाता है।।
फिर आने वाली बेटी को
क्यों कोख में मेरा जाता है।।
अगर बच जाए वो मौथ के मुंह से
फिर भी तो पछताती है।।
कभी इज्जत लूटी जाती हैं
या फिर सुलगाया जाता है।।
किस लिए करे फिर बात कोई
ऐसे में कन्यादान लिखूं।।
मै सत्य लिखूं या सब की तरह
बस ' मेरा देश महान' लिखूं।।
Part 5
To be continued...-
कभी अर्धनग्न होकर दिल्ली में
आंदोलन कर जाता है।।
तिल तिल मारता है पहले तो
फिर फासी पर चढ जाता है।।
तब कोने में बैठी भारत मां
खून के आंसू रोती हैं।।
जब अन्ना उगाने वाला कोई
खुद भूखे रह जाता हैं।।
कैसे कैसे हालातो में
रहता हैं यहां किसान लिखूं।।
मै सत्य लिखूं या सब की तरह
बस ' मेरा देश महान ' लिखूं।।
Part 4
To be continued...-
आजादी के 73 सालों में भी
क्या सचमें, हम आजाद यहां है!!
घर में रहना, खुलकर जीने का मतलब
है आजादी तो हम गुलाम कहां हैं।
आंखों देखा हाल सुनाता हूं एक बेईमान की
दिनभर झगड़ा और लड़ाई
पर करता बातें ईमान की
चाहे जैसा हो वह जालिम,
फर्ज निभाई एक इंसान की
दर्द देख मदद की उसने एक बेबस किसान की।
ऐसे लोग कहां मिलते हैं
आज के इस संसार में
इन जैसों की कमी को ही
आज का दुर्भाग्य लिखूं।
मैं सत्य लिखूं या सब की तरह
बस "मेरा देश महान" लिखूं।
Part 10-