माँ
तेरी ख़ुश्बू ही तो है माँ जो
हर पल मेरे वजूद को महकाती है
जो भी मिलता है कहता है मुझसे
तुमसे तो तुम्हरी माँ की झलक आती है
सच कितनी खुशी मुझे मिल जाती है 😊
तेरी ही महक से तो चहक जाती हूँ मैं माँ
मेरा महकना मेरा चहकना लाज़मी है माँ
तु जो मेरी हर साँस में समाई है मेरी माँ-
मुख से निकले "माँ" शब्द की प्रतिध्वनि सुनकर
"जीवन धुन" सी बज उठती हैं हृदय में हर बार-
माँ की ममता की थाह ,समुद्र की गहराई से भी ज़ियादा गहरी है।
मेरी नन्ही सी क़लम में ,वो रौशनाई कहाँ जो,बयाँ करूँ,
तेरी ममता की गहराई माँ ।
सिर्फ एक लफ़्ज़ "माँ"ही लिख पाती हूँ मैं,
जब भी तेरी इबारत लिखनी चाही माँ ।-
अंजुम सी तेरे आँचल में झिलमिलाती रहती थी मैं तो "माँ"
शमीम-ए-जाँ सी आज मेरे वजूद में तुम महकती हो "माँ"-
"माँ " लिख कर तेरा नाम जब भी चूम लेती हूँ
मैं,ख़ुद में ही गुम ख़ुद के वजूद को ढूँढ लेती हूँ-
बांवरे मन मेरे यूँ तितलियों की तरह उड़ ख़्वाबों में रंग भरने को, जुगनुओं की तरह जगमगाने को।
नदियों की तरह सरलता से बहने को,झरनों की तरह हँसी के मोती झरने को, एक काफ़ी हो तुम।-
********************************
"भक्ति एक विश्वास ,अनंत अनादि शक्ति के होने का"
********************************
अज़ल से कायम जिसका नूर है
मेरा है यक़ीन ,वो रब है मेरा
जो हर एक ज़र्रे में शामिल है
हवाओं पे जिसकी रवानी है
दरिया में बहता वो पानी है
फूलों के रंग-ओ-बू में है वो
ज़मीन से आसमान तलक
सिर्फ उसकी हुक्मरानी है
चरिंदो, परिंदों से शजर तक
उस रब की ही मेहरबानी है
वो रब जिसको बिन देखे ही
एक लौ उससे लगा ली है
वह मेरी रूह में शामिल है
वो शामिल है हर दुआ में
उससे ही हर दुआ माँगी है
ये यक़ीन ही तो है मेरा रब पर
जो दिल से उसे हर बार सदा दी है
पुकारा जब भी अपने रब को मैंने
महसूस किया है वो क़रीब है मेरे
सुनकर मेरी सदा, इमदाद मेरी की है
कोई आए ना आए,वो रब है जो साथ है हमारे
हम उसके बंदे ,वो हमारा रब है यक़ीन है मेरा
यक़ीन ही तो है,जो हमें जोड़े है रब से हमारे-
आईना अक्सर पूछता रहता है मुझसे,खो गए हो तुम कहाँ।
वो चुलबुल सी हँसी वो नटखट शरारतें तुम करते क्यूँ नही।
अब कैसे मैं समझाऊँ उसे, माँ की आँखों में देख अपनी छवि निखरती थी।
माँ के बाद तो खुद से भी मिलती नही,बांवरी सी माँ की यादों में खोई रहती हूँ।-