देख के सपने में उनको, चेहरे पर मुस्कान है छाई,
मैं गोद में रख लेता हूँ सर, देख के माँ की परछाई।
इस जीवन में सबसे आला, बस माँ का ही प्यार है,
वो ही मंदिर, वो ही पूजा और वही सारा संसार है।
डांटती है, मारती है, फ़िर प्यार से पुचकारती है,
जब देने जाओ कड़े इम्तिहान, तो बलाएं उतारती है।
बिन माँ के जीवन कैसे बीते, ये सोच के जी घबरा जाता है,
जिनकी माँ नहीं होती है, उनका जीवन कैसे गुज़र जाता है।
हर जन्म में मिले यही माँ, बस मेरी यही मन्नत होगी,
जो धोके पी जाये माँ के चरण, उसको नसीब जन्नत होगी।
-
हर सपना वो पूरा करते, जलाकर अपने अरमानों की चिता,
करने पूरी बच्चों की ख़्वाईश, हर सुबह निकल पड़ता है पिता।
माना नौ महीने गर्भ में रखकर, पीड़ा सहती है माता,
पर नौ महीने "अपने दिमाग़ में" बच्चों का भविष्य ढोता है पिता।
बचपन में लड़खड़ाते कदमों को, हाथ पकड़ के चलना सिखाते,
जब जब छोटे कदम चलते तो ख़ुशी से फ़ूले नहीं समाते।
डाँटने के पश्चात भी, आता है उनको प्यार जताना,
पर विश्व का सबसे कठिन काम है, अपने पिता को गले लगाना।
देखा है एक विशाल हृदय, एक टुकड़ा जुदा करते हुए,
निकलते हैं उनके भी आँसू, बेटी को विदा करते हुए।
घरवालों की फ़रमाइश पर, सब कुछ करना स्वीकार है,
ये भी बिल्कुल सत्य है, माँ अगर संसार है तो पिता पालनहार है।-
जो द्वार तिहारे खाली आते,
भर के झोली वो ले जाते।।
दिल से जो आवाज़ है देता,
तुम उसके लिए दौड़े आते।।
मैं भी तुम्हारा भक्त हूँ भोले,
अपनी कृपा बनाये रखना।।
जब कभी मेरे कदम डगमगाये,
संभाल लेना एक पितृ के नाते।।-
था जिन सपनों को पूरा करना, उनको तू पानी कर गया,
गलत संगत में पड़ के, बर्बाद तू अपनी जवानी कर गया,
इस संसार में तो सबसे ऊपर, माँ बाप का ही प्यार है,
फ़िर किसके प्यार की ख़ातिर, ख़त्म तू अपनी कहानी कर गया।-
चल पहले जैसे क्यों न हम, उड़ती पतंग की डोर खीचें,
हाथ पकड़कर करेंगे बातें, हम भी बैठकर चाँद के नीचे,
नोक-झोंक और ताना बाना, ये तो हर रिश्तों में होता है,
आओ भुलाकर गलतियाँ सारी, अपने प्रेम की बगिया सींचे।-
कोई उलझी हुई पहेली आज हल हो गई,
मन में नाचा मोर और बादलों में हलचल हो गई,
उसकी एक झलक पाते ही क्या बताऊँ यारों,
मेरी की हुई जन्मों की तपस्या सफ़ल हो गई।-
अब हम किसके लिए, करें ख़ुदा की बंदगी,
वो तो रूठ के जा चुके हैं, जिसे मानते थे जिंदगी।
जब सबने सोच बना रखी है कि भ्रूण हत्या पाप है,
फ़िर इनकी हत्याएं करके कौन फैला रहा है गंदगी।
दूसरों की माँ बहनों से करते हो बलात्कार तुम,
मौत ही है एक विकल्प, जो ख़त्म करे दरिंदगी।
जात-पात के नाम पर कब तक देश चलाओगे,
ख़त्म करो इस सोच को और समाज से मिटादो रिंदगी।
चंद मुट्ठी भर लोगों से ये देश कैसे चल सकता है,
चलो हम तुम उठायें बीड़ा और करते हैं नुमाइंदगी।-
जिस रोज तेरे ख्यालों में खोता हूँ मैं,
सारी रात आँखे खोल के सोता हूँ मैं।
लाख कोशिश करले तू मुझे भुलाने की,
यकीनन हर रात तेरे ख़्वाबों में होता हूँ मैं।
तू कहती थी रहूंगी ताउम्र तेरे साथ में,
अब यही सोचकर जी भर के रोता हूँ मैं।
तूने कह तो दिया था कि प्यार नहीं है तुझसे,
हाँ आज भी तेरे प्यार के मोती पिरोता हूँ मैं।-
ऐ खुदा मुझ पर तू बस इतनी मेहरबानी कर,
बांध अपनी दोस्ती में, मुझ पे ये कद्रदानी कर।
मैं वो किताब बनूं, हर पन्ने पे हो अक़्स तेरा,
हर महफ़िल में सुनी जाये, मुझे वो कहानी कर।
लय में पिरो जाये जीवन का हर छंद मेरा,
इक सुंदर गीत बनूं, तू ऐसी मेरी ज़िंदगानी कर।
इस ज़ीस्त में जपता रहूँ, हर पल बस नाम तेरा,
सूखे न भक्ति का दरिया, तू ऐसी मेरी बागबानी कर।-
किस अंधकार में डूब रहा ये मेरा शहर है,
बस चारों तरफ़ दौड़ रही मौतों की लहर है।
गर हवा में है उड़ती पतंग, तो ज़मीं पे नहर है,
ज़िंदगी बचा लो अपनी, जो बस दो पहर है।
गुलाब सी महक उसकी और smile भी किलर है,
पर महामारी ले आई सबके जीवन में थ्रिलर है।
तड़प तड़प के मर गया, तेरे प्यार का क़हर है,
इस संसार में यूँही बदनाम, साँपो का ज़हर है।
उसको धोखा मत दो, जिसकी सबपे नज़र है,
आज जो जीवित बच गए, उस रब की मेहेर है।-