कहाँ चाहिए था
हर वक़्त का साथ
बस एक तसल्ली कि
तुम नज़र आओ न आओ
बस हो मेरे आस पास
मेरे दुःख सुख में
दो चार क़दम साथ
चलने के बहाने
पनपतीं रहें कविताएँ
भले दरमियाँ खामोशी रहे
या अचानक तुम्हारी कोई चिट्ठी
जिसे पाकर जी भरकर इतराऊँ
कि कहीं मैं हूँ तेरे ख़यालों में
आज भी ज़िंदा
#मन_सा-
10 APR 2024 AT 14:24