गंतव्य तक कब पहुँच मेरी,
मैं राह का भटका पथिक हूँ।
(अनुशीर्षक में...)-
6 JUN 2021 AT 15:37
19 JAN 2020 AT 21:47
जैसे भानु अपनी आभा से सारा तम हर लेता है,
वैसे प्रेम जटिल राहों को पल में सुगम कर देता है।-
21 MAR 2020 AT 9:07
भूमण्डल जिससे जूझ रहा,
कुछ न किसी को सूझ रहा।
यह लाईलाज बीमारी है,
यह कोरोना महामारी है।
( अनुशीर्षक में पढ़ें)-
7 AUG 2019 AT 16:26
बेटी को राजनीति में आना है, तो आने दो,
क्या पता वो भी भविष्य की "सुषमा स्वराज" हो।-
5 OCT 2024 AT 22:17
(दोहे)
रातों के हाथों लुटे, कई नेक इंसान।
किसी ने झेले छल कई, गई किसी की जान।।१।।
बड़ा जटिल है जानना, छल के रूप अनेक।
किसकी आंखें प्रेम की, कौन रहा बस देख।।२।।
कुटिल बुद्धि का तंत्र सब, अरु मिथ्या जंजाल।
डसने को बैठा हुआ, भ्रम का मायाजाल।।३।।
लोलुपता बढ़ने लगी, छीन रहे अब कौर।
मानो सब कुछ एक का, नहीं किसी को ठौर।।४।।
पानी पीना छोड़कर, प्रतिदिन पिए शराब।
'भानू' सब की जगत में, बुद्धि हुई खराब।।५।।-
23 JAN 2019 AT 23:28
Colours of your love
make a beautiful
Rainbow in my
colourless life.-