QUOTES ON #बेढँगा_कलमकार

#बेढँगा_कलमकार quotes

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17 JUN 2021 AT 12:55

कि शिकायत है उससे
कि वो लिखती क्यूं नहीं
कि मोहब्बत है उसे भी
तो कुछ कहती क्यूं नहीं
कि करती रहती है इंतजार
वो भी मेरे मैसेज का तो
शिकायत है उससे कि वो
फिर मैसेज करती क्यूं नहीं

#प्यारी_गुड़िया (A)
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

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5 JUL 2021 AT 19:46

लिख दूं ग़ज़ल जो तो
तेरे नाम कि चर्चा सारे बाज़ार में होगी

आए जो हैसियत कि बात
मांग लूं हक अपनी नाराज़ तो न होगी

मेरी चाहत है सैफई तुझको है मालुम
तो इस चाहत का कारोबार तो न होगी

इत्तेफाक से तेरे न होने से है फ़ायदा
मेरे बाप कि जायदाद नीलाम तो न होगी

दरअसल बात ऐसी है आए हालात मुश्किल
मिल जाएगी निजात जो नाम तेरा न होगी

जब कभी भी चांद तारों कि बात आएगी
आसान होगा कहना जो तू मेरी चांद न होगी

लिख दूं ग़ज़ल जो तो
तेरे नाम कि चर्चा सारे बाज़ार में होगी

✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

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23 JUN 2021 AT 10:21

कि अंजान थे हम, मालूम नहीं था
खुदगर्ज इंसान थे हम, मालूम नहीं था
दिल लगाएं, ये कमी थी हमारी
पर मोहब्बत नहीं है तुझे, मालूम नहीं था

#प्यारी_गुड़िया (A)
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

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24 JUN 2021 AT 15:35

कि अब इश्क-ए-यूपीएससी का जुनून है
और उनसे मोहब्बत भी भरपूर है
कि कर लिया है वादा हाथ थामने का
बस अभी वो ख़्वाब ही , केवल दूर है

कि अब लगा लेनी है लत उसकी
वो ही मंज़िल और मोहब्बत है मेरी
कि इश्क-ए-यूपीएससी का जुनून है
अब वही ख़ुदा और जन्नत है मेरी

कि उस ख़्वाब को , पूरी करनी है
दिल के हर जज़्बात को, पूरी करनी है
कि किया है वादा जो ख़ुद से
हर उस बात को , पूरी करनी है

#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

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1 AUG 2021 AT 22:58

खूब सूरत वो पल आज भी याद आते हैं
वो तस्वीर वो बीते कल आज भी याद आते हैं
खुदा से मन्नत में ख्वाहिश तो बहुत की
पर मिली न वो मन्नत जो आज भी याद आते हैं

गुजरते जा रहे है एक एक पल
बीते कल में सब तब्दील होते जा रहे हैं
रोके रुके न , करू प्रयास असफलता हाथ आते
कैसे मनाऊं दिल को जो आज भी याद आते हैं

✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

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23 JUN 2021 AT 8:12

कलम चली और पसीने छुट गये
कराहे और दर्द के मारे सो गये
जख्म थे गहरे कसम से उनके
शर्मिंदा थे इतने कि आसुँओ मे पिरो गये

#प्यारी_गुड़िया (A)
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

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4 JUL 2021 AT 21:20

अब कुछ रिश्ते टूटने कि
गूंज जल्द ही सुनाई देगी
अब मुझे भी ज़रुरत नहीं है
इश्क मोहब्बत की

जब नहीं है कद्र उसको
तो मैं अकेला क्या करूं
उसे करना है जो वो करे
मैं भी अब अपना रास्ता
नापना शुरु करूं

✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

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25 JUN 2021 AT 21:15

मेरे मेहनत के पसीने में
वो खुशबू थी
जो मेरी तक़दीर गढ़ रही थी
और मेरे शरीर के ताप में
वो फ़जा थी
जो मुझसे इश्क कर रही थी

तक़दीर ऐसी थी कि
कामयाबी आसमान छू रही थी
और फज़ा ऐसी थी कि
इश्क बेइंतहा प्यार कर रही थी

मै भी मर मिटा था अब उसपे
उसकी एक एक मैसेज का इंतजार करता था
वो भी करती थी प्यार इतना
कि उसका दिल भी मेरे नाम से धड़कता था

#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

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14 OCT 2022 AT 17:01

उसे लिखने का कोई मतलब नही था

लिखना पड़ा जब उसे छोड़ना था

कि राह कठीन है , मैं चल नही सकता

जिंदा रहा तो कोई और मिल जायेगा,

और कुछ क्या कहूं, बस इतने से समझ लो,

अब आगे कुछ बोला तो जान निकल जाएगा

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30 APR 2022 AT 21:48

वो इलाहाबाद की गंगा होती
तो मैं भी उसका घाट हो जाता

गर्मी को भी हंस के सह लेता
भले पारा सौ के पार हो जाता

बिजली ने दिल तोड़ दिया
तो सब ने पसीना छोड़ दिया

जनरेटर पर भरोसा था
तो डीजल ने रिकॉर्ड तोड़ दिया

गर्मी में निकलना सपना हो गई
इग्लू , इस्पात कारखाना हो गई

सोनम तो बेवफा थी ही
पर जोगी की बिजली भी बेवफा हो गई

#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

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