तुम जो चाहो..
तुम अगर चाहो
तो मेरा दिल तेरे नाम हो जाये..
मिल जाता एक पल
सारी ज़िंदगी तमाम हो जाये..
सर रखकर कंधे पर तेरे
सारी उम्र यूँ गुज़ारा हो जाये..
हम तुम्हें चाहें मगर उसपे
वक़्त की इनायत हो जाये..
प्यार का आग़ाज़ किया हमने
एक नया मोड़ , नया रंग निखर कर
उसपर देने वाला नया अंजाम हो जाये..
Priyadarshana-
ये रहगुज़र कुछ कह गयी हम खड़े थे ख़्वाब ले कर,
उम्र ही ख़ुद ढह गयी ...
देखते - देखते
थकेंगे अगर जो हम, हमें गुज़रा ज़माना याद आया
हमसे बिछड़े दोस्तों का हर फ़साना याद आया
उम्र ही ख़ुद ढह गयी
देखते - देखते
वक़्त की दुष्वारियों में कश्मकश ही रह गयी
हम खड़े थे ख़्वाब ले कर,तलाश में ही गुज़ारा जीवन
उम्र ही ख़ुद ढह गयी
देखते - देखते
सर झुकाता गया ,हर दुआ क़बूल करते
हर हक़ीक़त, हर नसीहत को जब जिसे जी रहे थे
उम्र ही ख़ुद ढह गयी
देखते-देखते
कैसे गुज़रे दिन न पूछो, रात की बात ना पुछे तो अच्छा है
बदगुमानी रह गयी हम खड़े थे ख़्वाब ले कर,
उम्र ही ख़ुद ढह गयी
देखते-देखते
सितारा कोई चमका नहीं मुक़द्दर हमारा, जो बदला नहीं
ज़िन्दगी शर्तों में गुज़ार दीं हम खड़े थे ख़्वाब ले कर,
उम्र ही ख़ुद ढह गयी
देखते -देखते
@प्रियदर्शना
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ज़िंदगी मुस्कुराने लगी
जब हम मुस्कुराने लगे
ज़िंदगी मुस्कुराने लगी..
आवाज़ कानों में आई
होंठों पर हँसी छानें लगी..
आँखों से क्या बात हुई
ज़िंदगी हाथों से जाने लगी..
हर लम्हा भर गई बैचेनी
यादें आप की आने लगी..
कुछ भी करूँ मैं कहीं भी जाऊँ
बात तेरी ही तरफ़ मुड़ने लगी..
ये क्या हो गया है मुझे
जीते जी जान जाने लगी..
प्रियदर्शना
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आज रात सावन की कारी अंधियारी
अँधियारे कारागार में जन्में श्याम
खुल गई ज़ंजीरें, हुई परे है दुनियादारी..
माँ यशोदा, बाबा वासुदेव,
सारे व्रजवासी..
बधाई... हो ...बधाई ...!
घरती पर हुई ख़ुशियाोँ की छँटाई
दुस्कर्मों की अबतो होंगी बिदाई
सुख के दिनों का होगी फूलवारी
माँ यशोदा, बाबा वासुदेव ,
सारे व्रजवासी..
बधाई... हो ...बधाई ...!
धन्य हो गई सारी मानव जाति
धन्य-धन्य हो गया सारा संसार
आफ़त की बेड़ियाँ टूट चूकीं अब
माँ यशोदा, बाबा वासुदेव ,
सारे व्रजवासी..
बधाई... हो ...बधाई ...!
नाचे मथुरा ,झूमें गोकुल,
घरों में सजी रंगोली
मिल-जुलकर गायें गीत, गायें तराने
आज ख़ुशियों की है बातें निराली
माँ यशोदा, बाबा वासुदेव ,
सारे व्रजवासी..
बधाई... हो ...बधाई ...!
बित चूकीं अब रातें काली
दिन उगेंगे मेघधनुषि ,लाल-गुलाबी
छागई है वन-उपवन में ख़ुशहाली
माँ यशोदा, बाबा वासुदेव,
सारे व्रजवासी..
बधाई... हो ...बधाई ...!
प्रभुदर्शन से धन्य हुए हैं,
मनमोहन के संग मिलें है,
जबकि जन्म लिया तुमने बनवारी
हारेंगे अब सब अत्याचारिं,
करने आए नाश...अविनाशी..
माँ यशोदा, बाबा वासुदेव,
सारे व्रजवासी..
बधाई... हो ...बधाई ...!
@प्रियदर्शना-
प्यार के नाम..
कहाँ तलाशें छूटे सपनों को
एक सच था जो ना बोला गया
तराज़ू में दिल था उसे तोला गया...
कुछ लफ़्ज़ मुँहसे जो ना बोला गया
लिख दिया था ख़त में,उसको मैं ने
बदक़िस्मती से उसे ना खोला गया...
सुबह छीन लेती मेरी ख़ामोशीयों को
रात छीन लेती मेरी ख़्वाहिशों को
प्यार के नाम पर जूठ बोला गया...
#प्रियदर्शना
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जीवन की तपती रेत पर
ठंडी पानी की बूँदे तुम हो कृष्ण
अंधियारी उलझी राहों पर
रोशनी का चराग तुम हो कृष्ण
अनजानी अनसुनी बातों पर
पथदर्शक बन खड़े तुम हो कृष्ण
परिवार कार्य , या धर्म युद्ध पर
ख़ामोश अड़ंग निश्चय तुम हो कृष्ण
माँ का प्यार दुलार हो, या राधा पर
दबाके दिलमें आगे बढ़ते तुम हो कृष्ण
महानायक जीवनके रंगमंच पर
पूर्णता की चीर सीमा ...
प्रेम की परिभाषा तुम हो कृष्ण
@प्रियदर्शना-
ज़रा सी फुर्सत नहीं,
बात करने की अब।
बड़े व्यस्त हो गऐ हम,
देखते-देखते।
फ़स गए है हम सभी,
अपने ही जाल में।
क्या ग़ज़ब हो गया,
देखते-देखते।
तुम भी तुम न रहे,
हम भी हम न रहे।
क्या से क्या हो गये,
देखते-देखते।
@प्रियदर्शना-
उसे देखे बिना
रातों को नींद नहीं
दिन को चैन नहीं
होंठों पर हँसी नहीं
धड़कन हमारी नहीं
सुझता कुछ नहीं
दिल को क़रार नहीं
हर लम्हा अच्छा नहीं
लगता कुछ पूर्ण नहीं
हर तरफ़ तन्हाँई बसीं
लगता कुछ ख़ास नहीं
हर लम्हा अधूरा ही नहीं
ज़िंदगी में वो बात नहीं
साँसें चलतीं नहीं
ज़िंदगी ज़िंदगी नहीं.
प्रियदर्शना
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जैसे
न सोचने की सोचना भी
है एक सोच
जैसे
इच्छाओं को
त्याग देने की इच्छा भी
है एक इच्छा
ठीक ऐसे ही
पड़ जाती हो तुम प्रेम में
जब कहती हो
तुम्हें किसी से प्रेम नहीं !
Priyadarshana-