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6 JUN 2020 AT 14:55
है इस तूफ़ानी मंझधार में
तेरा नाम जपता रहूं यही है अख़्तियार में-
17 APR 2021 AT 23:00
ही जानती है ज़िन्दगी का अँधेरा
दोनों मिल के ढूंढते रहें हैं सदियों से सवेरा
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4 APR 2020 AT 3:51
ख़ामोश रात के आंसू
सिसकती करवटें
तो चुप रह जाती हैं
तकिये की नमी
बिस्तर की सिलवटें
सवेरे सब कह जाती हैं-
17 APR 2021 AT 20:14
वो सब जान लेती है
गिरने से पहले ही झट से थाम लेती है
दुआएं माँ की हमेशा महफूज़ रखती है
ज़िन्दगी जब भी कोई इम्तिहान लेती है-
4 APR 2020 AT 13:11
एक नई उम्मीद की तरह
करूँ झोली फैला के सज़दा किसी ग़रीब की तरह-
18 APR 2021 AT 13:29
ये हमेशा कहते रहे हो तुम
ऐसे ही अपनी मर्जी मुझपे जड़ते रहे हो तुम-
13 APR 2021 AT 0:27
उम्मीद बची है तेरे लौट कर आने की
मेरी रूह को भी कोई जल्दी नहीं जहां से जाने की-