QUOTES ON #प्रतापसबक

#प्रतापसबक quotes

Trending | Latest
25 MAY 2020 AT 16:51

पिया मिलन को चली बावरी, कंटक से परिपूर्ण डगर।
गाँव गाँव में उसने खोजा, खोजा उसने नगर नगर।।

नयन दर्श के है अभिलाषी, चितवन में भरी उदासी।
सजा सजाया महल छोड़कर, भटक रही भूखी प्यासी।।
दीप आस का ले हाथों में, बढ़ती जाये सफ़र सफ़र।
पिया मिलन को चली बावरी, कंटक से परिपूर्ण डगर।।

मिलन गीत हर साँस पुकारे, धड़कन सरगम छेड़ रही।
इन सावन की बूँदो से है, कैसी ये बढ़ अगन रही।।
समर्पण देख उस कमली का, झुकती जाये नज़र नज़र।
पिया मिलन को चली बावरी, कंटक से परिपूर्ण डगर।।

कभी चाँद से बातें करती, कभी निहारे सूरज को।
कभी आँख में आँसू भरके, कभी पुकारे प्रियतम को।।
कौन देश गये उसके पिया, जिसको ढूँढे इधर-उधर।
पिया मिलन को चली बावरी, कंटक से परिपूर्ण डगर।।

-


15 JUN 2020 AT 8:43

गाँव की पगडंडीयाँ अब जलने लगी है
गाँव की कच्ची सड़क पक्की जो हुई है

-


25 MAY 2020 AT 6:23

न जाने कितने ही शहंशाहों को गिरा गई
समय की रेत फिसलती हुई

-


4 JUN 2020 AT 18:45

सोचो मत तुम दूर की, जीवन के पल चंद।
आज समय जो भी मिला, ले उसका आनंद।।

जाग समय पर नींद से, करले चारों धाम।
क्यों पछतावा होय जब, होंगी आँखें बंद।।

राम नाम बिन जीव का, जीवन ये बेकार।
जन्म मरण का चक्र जो, लगे जगत का फंद।।

राम नाम के जाप से, बनते सारे काम।
प्रभु के धुन में हो मगन, जीवन ये स्वच्छंद।।

कड़वाहट परहेज हो, तो जीवन 'मशहूर'।
ऐसे बोलो बोल तुम, जैसे मीठे कंद।।

-


27 MAY 2020 AT 15:03

गाँव से अपने बड़े ही दूर हूँ मैं।
देख मुझको हिंद का मज़दूर हूँ मैं।

ठोकरें खाकर जहां में जी रहा हूँ,
क्या बताऊँ रब बड़ा मजबूर हूँ मैं।

झोंक मुझको आँधियों में वो गया है,
जो कहे इस मुल्क का ज़ौ, नूर हूँ मैं।

हुक्मरानों ने किया बेहाल मुझको,
खेल जो खेले सियासत, चूर हूँ मैं।

मत समझ भूखा मुझे इस जंग में भी,
रोज़ खा खा के सबक भरपूर हूँ मैं।

सब अमीरों की अमीरी हाथ मेरे,
पर ग़रीबी नाम से 'मशहूर' हूँ मैं।

-


26 MAY 2020 AT 21:36

दूर ले जाएगी हमको ये सड़क शहर की
गाँव की पगडंडी होती तो हम दूर जाते ही नहीं

-


22 MAY 2020 AT 13:52

वो कहते हैं ख़ामोश मत रहो
हम कहते हैं बस ख़ामोश रहो

-


14 JUN 2020 AT 8:35

उखड़े उखड़े आजकल, क्यों मेरे मनमीत।
जीवन में तेरे बिना, कैसे होगी जीत।।

सावन की बरसात हो, और बहार बसंत।
संग अगर तेरा नहीं, फीकी सी हर रीत।।

चलना मुश्किल सा लगे, बैठे तुम गर रूठ।
मिलकर के हर मोड़ पर, आओ गाएँ गीत।।

मरहम हो तुम दर्द में, और खुशी में आश।
सूने जीवन में हँसी, तुमसे है संगीत।।

ठोकर में हो तुम 'सबक', अंधेरों में दीप।
संग तुम्हारे ज़िंदगी, यूँ ही जाये बीत।।

-


12 JUN 2020 AT 22:26

ज़िंदगी को लोग बेवफ़ा कहते हैं मगर
इससे बड़ा कोई वफ़ादार नहीं
तब तक साथ नहीं छोड़ती जब तक तुम मर नहीं जाते

-


22 MAY 2020 AT 13:49

नादान हम सियासत के बकरे बने
करके सियासत तुम्हें क्या मिला?

-