"प्रजासात्तक"
हर तरफ नफ़रत बोलबाला है,
सच्चाई का तो मुंह तोड़ डाला है,
पता नही कहा लेके जायेगी इस देश की सियासत,
अपने ही घर में खौफ का माहोल बना डाला है।
मासूमों के जान की पर्व अब है किसे यह,
सब अपनी रोटी सेंकने में मशगूल है,
प्रजासात्तक देश है मेरा और प्रजा की यहां चलती नही है।
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11 APR 2022 AT 8:53