जो लिखा है वो जानता नही कोई,
और जो मानता है, वो हैरान -परेशान है-
जिन्दगी हरबार अजीब तरह से नचाती है,
कभी गुलशन तो अभी अजीब ही गुल खिलाती है।
अब आलम ये है ज़हा बैठके हम रौब झाड़ते थे, हमसे पहले वह अब धूल बैठ जाती है।-
जिंदगी जीने का ज्ञान अब हम किसकी छत्रछाया में सीखेंगे,
बाबा आप जो चले गए हो, अब कहाँ दिखेंगे, नतमस्तक होकर शांति मिलती थी जिन कदमों पर , अब वो पैर कहा दिखेंगे, दुःख दर्द का सिलसिला यूंही चलता रहा तो, इन आंखों से बहने वाले आंसू कब रुकेंगे।-
खोळ्या काढतो, हक्काने रुसून बसतो,पण एक सांगू का बायको, तुझ्या असण्याने मात्र आयुष्यात आनंद दरवळतो,
जन्मदिवसाच्या आभाळभर शुभेच्छा,-
"प्रजासात्तक"
हर तरफ नफ़रत बोलबाला है,
सच्चाई का तो मुंह तोड़ डाला है,
पता नही कहा लेके जायेगी इस देश की सियासत,
अपने ही घर में खौफ का माहोल बना डाला है।
मासूमों के जान की पर्व अब है किसे यह,
सब अपनी रोटी सेंकने में मशगूल है,
प्रजासात्तक देश है मेरा और प्रजा की यहां चलती नही है।
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"पीता"
आप थे तो सबकुछ अलग था ,वो दुनिया ही अलग थी,
जर्रे जर्रे में खुशी थी, हर चीज में आत्मविश्वास था।
अब जो आप नहीं तो सबकुछ वीरान सा लगता है,
ज़र्रा ज़र्रा सुनसान सा लगता है,
कोशिश कर रहा हु हिम्मत बटोरनेकी लेकिन आत्मविश्वास का घरौंदा बिखरा हुआ सा लगता है।
वो आशियाना जो आपने अपने मेहनत से बनाया था, वो यादों का पहाड़ सा लगता है, यू अचानक चले जाने से इस घर का ज़र्रा ज़र्रा खाने को उठता है।
दुनियां के लिए तो बस एक इंसान ही कम हुआ, हमारा घरौंदा बिखर गया उसका क्या?
बचाने ने की कोशिश में कभी ना मिटनेवाला मौत का दाग लग गया, अपने ही नहीं समझते तो परायों का वजूद ही क्या? दर्द से सिकुड़ जाता है ये दिल, जब लगता है मेरी गलतियों के कारण, आप नही रहे, जो असर हुआ है मुझपर होगा उसका अंजाम क्या?-
माना की थोड़े तंग है लफ्ज़ आज,
माना की मुश्किल है जिंदगी की जंग आज,
ज़िंदगी के इंद्रधनुष से थोड़े रंग चुरा लो,
चढ़ा दो उन तंग लफ्जों पर
और उस जंग का रंग ही बदल दो,
जंग थोड़ी मुश्किल है लेकिन असंभव कुछ भी नही,
बस कुछ पल निकाल लो , वक्त इतना भी कम नहीं।-
#gocoronago
कहीं कोई रामू कोरोना से रो रहा है,
कहीं कोई मामू किसी मनचले को धो रहा है,
कोई अपने घर में ही चैन की नींद सो रहा है,
कोई बाहर निकल के अपना रोना रो रहा है,
फिरभी जो ना माने उसे सिम्बा सिंघम धो रहा है।
रो रहा है, धो रहा है, चैन की नींद सो रहा है,
अरे इंसान ही है मामू क्यों अपना आपा खो रहा है।
कहा से है आया, या किसने इसे बुलाया, मरे हुए इस वायरस ने तो हाहाकार मचाया, अब तो सबको छुट्टी है, एक अनसुलझी सी गुत्थी है, चाइना का है हाथ इसमें या किसी और की मुठ्ठी है।
छुट्टी है, गुत्थी है, या किसी और की मुठ्ठी है, महाबलियों के झगड़ो में ही रीड की हड्डी टूटती है।
देश ये मेरा डर रहा है, डर डर के मर रहा है, मुंबई पुणे नाशिक नागपूर पूरा महाराष्ट्र जल रहा है।
अर्थव्यवस्था लंगड़ी है, हिम्मत फिरभि तगड़ी है, मास्क हैंडग्लूव्स सेनेटाइजर संग हमें तो ये जंग लढ़नी है।
लंगड़ी है, तगड़ी है, हमे तो ये जंग लढ़नी है,
जीत के ही दम लेंगे मामू, ये भारत की धरणी है।
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"Feelings"
You always been a fun
my dear son,
but I get scared
when you starts run.
I know you do fake laughter some time,
it's fine because the innocence on your face pleasure's my heart and mind.
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" #Gocorona"
तुम्हे लगा अजनबी बनके आओगे
थोड़ी सी कोशिश करोगे और हमे बीमार, बहोत बीमार कर जाओगे,
लेकिन तुम्हे क्या पता, तुम्हारी साजिश मे हम इसकदर शामिल हुए, तुम्हे पता भी ना चला और तुम्हारे बारे मे हम सब जान गए।
लेकिन खुशकिस्मती हैं तुम्हारी, की हम मे बेवकूफों की कमी नहीँ, किस रास्ते से जकड़ लोगे तुम, किसीको इसकी ख़बर नहीं,
लेकिन बेवकूफ़ है तो शाने भी बोहत है यहाँ,
जान पे खेल जाने वाले परवाने भी है यहाँ,
तुम खेलों अपना दाव, हम भी देखते है,
ये भारत है, अच्छे अच्छे यहाँ घुटने टेकते हैं।-