मेरा गुनाह बस इतना था कि
वो जानती थी
मोहब्बत है उससे यह बात
वो मानती थी
हा कुछ समाज का
लिहाज़ करती थी
नही तो इजहार करना
वो भी जानती थी
हा वो करती है अब भी दुआ ख़ुदा से
मिल जाएं वो अगर हो नसीब में
चाहे दे दे सज़ा उम्र कैद का
पर छीन न खुशी मेरे प्यार की
#प्यारी_गुड़िया (A)
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)-
मोहब्बत कि ये कैसी तलब है
कि दिन गुजरता नहीं
रात पर याद है भारी
कि है ये कैसी इश्क-ए-मर्ज
कि रात गुजरता नहीं
और ज़माने से कैसे लडू
जो मोहब्बत नहीं चाहती
और इश्क-ए-मर्ज ऐसी है
कि वो ये शरीर नहीं छोड़ना चाहती
बहार ही दिखे जिसे, फ़र्क कैसी
मोहब्बत है जिसे , दर्द कैसी
और नहीं चाहती इश्क़ ज़माना
तो उस ज़माने का कद्र कैसी
#प्यारी_गुड़िया (A)
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)-
मोहब्बत का जाम लिएं और नशा नहीं
और मोहब्बत भी ऐसा जो जच़ा नहीं
यू ज़माने से गिले शिकवे तो नहीं
है तो एक इबादती चाहत
पर है जिससे उसे जच़ा नहीं
और मान रख लिया हूं ऐसे
कि इंतजार ख़त्म होती नहीं
बात पहुंच गई शादी तक
और पहुंची तो , बात काम
मान ज्यादा
शर्त रख दिया कि
शादी से पहले मुलाक़ात होगी नहीं
#प्यारी_गुड़िया
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)-
मुझे हज़ार नहीं एक कि तलाश थीं
और वो है आज भी , जो बेमिसाल थी
पर तोड़ रहा हूं आज उससे रिश्ता
पूछेगी क्यूं , दे दूंगा ज़वाब
कि तू मेरे लिए , खास नहीं थी
दर्द होगा पर भविष्य के लिए अच्छा होगा
नहीं तो हो जाएगी आदत उसकी
मैं तब उसके बिन नहीं जी पाऊंगा
फ़िर मुझे लिखना पड़ जाएगा
कि वो मेरे लिए , देशी शराब थी
#प्यारी_गुड़िया (A)
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)-