शख्शियत सारी रुसवाई के मेहमान नवाज़ी करने को आगे बढ़ रहे है
छेड़ा उनकी परवरिशो को तो वो दबे पांव फ़िर खाली हाथ उमड़ रहे है
लहु लुहान किया बेशर्म सी गर्दिशों को उनकी जो गमख़्वार हमने किया
वो खाली पेट देखो फिर मुड़ मुड़ तमाचा मेरी फितरतो को जड़ रहे है.!-
10 FEB 2018 AT 7:35
10 JAN 2018 AT 19:59
छोटे पैर है मेरे जी रहा हु सांसो को गिनगिन कर
जड़े ख्याति की फैला रखी है खुद की अब पानी दे रहा हु चुनचुन कर
भूखे पेट पाबंदियां सिरकते भी तड़पते हुए फिरना पड़ता है
सुखी रोटी की कमाई के लिए उल्टे पाव भी चलना पड़ता है
मन की प्यास तो पानी भी बूंद बूंद कर कर बुझाने लगे है
कुआ सूखा अंदर का फिर भी अमृत के घड़े भर कुछ सजाने लगे है
गया नही अक्सर वो मौसम जो गम की बारिश करता था
खुद तो आँसू पिता हमे भी उस नर्क में धकेला करता था
घाट घाट पर खाट बिछाना तो अपनी मनमौजी सरकार ने सिखाया है
उन्ही घाटों पर बैठ बेठ कर समय ने 2₹ क्या है तक कमाना सिखाया है.!!
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14 JAN 2022 AT 19:47
आप जम्मो झन ल दूसरइया सावन के बधाई🌧️🌧️🌧️
😡😡😡
पेर डारिस साले ह 😤🤒🤧😷😮💨-