जो मिला उसे खुदा की इनायत समझा
जो गवां दिया उसका हिसाब नहीं रखा
सफर के इम्तेहान मे कई सवाल है उठे
बस कुछ सवालों के जवाब नहीं रखा
मानता गया सब एक मकसद वक्त का
जिंदगी मे कभी कोई इत्तेफ़ाक़ नहीं रखा
वक्त की आंधी में परखच्चे उड़ते गए
बुजुर्गो के जिस बात का ध्यान नहीं रखा
कालचक्र के चक्रव्यूह के चक्रवात में हूं
गर्दा उड़ा दिया खुद को बचा के नहीं रखा-
20 DEC 2020 AT 19:21
10 JAN 2021 AT 12:13
वीर भोग्या वसुंधरा।
( रचना अनुशीर्षक मे )
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विश्व हिंदी दिवस
१०/०१/२०२१-
11 MAR 2021 AT 20:32
प्रयागी पिनाका
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( रचना अनुशीर्षक मे )
महाशिवरात्रि
११/०३/२०२१
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