वो लिखते हैं एहसास-ए-इश़्क,
हर हर्फ़ में एक चाहत नज़र आती है,
ज़्यादा नहीं कहा करते हैं वो,
चंद लफ्ज़ों में सब बयाँ कर जाते हैं;
वो उकेरते हैं कागज़ पर जज़्बात,
दिल के दरख़्त पर बहार आ जाती है,
नज़्मों में पिरोते हैं,अल्फाज़ों के मोती,
आँखों में खुशी की चमक भी आती है;
ज़रा ज़िद्दी हैं और हैं भोले भी,
प्यार सब पर खूब लुटाते हैं,
कह दिया करते हैं कभी सब कुछ,
और कहकर सब कुछ नहीं भी बताते हैं;
अलग ही मिजाज़ है उनका,
यहाँ सबको उनपे नाज़ है,
सिर्फ उनकी नज़्में ही नहीं,
मेरे लिए वो खुद बड़े खास हैं।
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