खिज़ाँ, सराब में तुम भी जो पल सको तो चलो,
तुम अपने ख़्वाब को खुद ही कुचल सको तो चलो।
निगाह-ए-नाज़ से मिटकर हमें तो लुत्फ़ हुआ,
तुम इसके दर्द से देखो सँभल सको तो चलो।
है उस की बज़्म तग़ाफ़ुल है ज़ख़्म, जश्न भी है,
ये रस्म इश्क़ की इस को बदल सको तो चलो।-
15 JAN AT 12:47
12 OCT 2022 AT 13:41
तेरी शायरी की अलहदा हवा नई ताज़गी देती है,
हम तो नौसिखिया ठहरे थोड़ा सा थम जाओ ना।-
8 FEB 2022 AT 12:34
इश्क हो जाए तेरी शायरी कुछ ऐसी है,
थोड़ा थम जाओ ये बंदा नौसिखिया है।— % &-
12 OCT 2021 AT 10:44
शायरी उनकी ऐसी जो, सब कुछ बयां कर देती थीं,
दिल के अंदर दफ़न राज़ के तहखाने खोल देती थीं।-
8 FEB 2023 AT 8:14
इश्क कुछ ऐसे हो जाता है, कि नशा उतरता नहीं,
ऐ शायर थोड़ा थम जाइये, ये बंदा नौसिखिया है।-