अमल धवल गिरि के शिखरों पर,
बादल को घिरते देखा है।
छोटे-छोटे मोती जैसे
उसके शीतल तुहिन कणों को,
मानसरोवर के उन स्वर्णिम
कमलों पर गिरते देखा है,
बादल को घिरते देखा है।-
12 JUL 2019 AT 21:10
23 FEB 2019 AT 9:23
क्या हुआ जब बाबा नागार्जुन, कवि केदारनाथ अग्रवाल के गृह नगर बाँदा के कवि सम्मेलन में पहली बार गए?
केदारनाथ अग्रवाल ने जब बाबा के आगमन को 'अहोभाग्य' कहा, तो बाबा ने खुद को 'बड़भागी' क्यों कहा?
(अनुशीर्षक में पढ़ें)
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9 SEP 2020 AT 21:32
जब मैं ग़रीबों को खाना देता हूँ, तो वे मुझे संत कहते हैं
जब मैं पूछता हूँ कि ग़रीबों के पास खाना क्यों नहीं है
तो वे मुझे कम्युनिस्ट कहते हैं-
3 MAY 2019 AT 12:48
'जाकी रही भावना जैसी'
आज बात बिरह के साहित्य पर
नागिन बैठी राह में, बिरहन पहुँची आय
नागिन डर पीछे भई, कहीं बिरहन डस न जाय-
8 JUL 2020 AT 11:13
आये दिन बहार के
खिले हैं दाँत ज्यों दाने अनार के
दिल्ली से लौटे हैं अभी टिकट मार के
सपने दिखे कार के
गगन-विहार के
सीखेंगे नखरे, समुन्दर-पार के
लौटे टिकट मार के, आए दिन बहार के !-