बहुत बाट है देखी सबने, अब और देर ना लगाउँगा
अँगना में तुम्हारे आके, माँ और बाबा तम्हें बुलाऊँगा.
बहुत बाट देखी है सबने..
दादी से सुनूँगा परियों की कहानी, तो दादू से लाड़ लड़ाऊँगा,
नाना संग खेलूँगा जी भर के, नानी से मन भर बतलाऊँगा,
बहुत बाट देखी है सबने..
बुआ मेरी है सबसे प्यारी, उनके पाँव दबाऊँगा,
फूफाजी संग जाऊँगा बजरिया, और ख़ूब खिलोने लाऊँगा,
बहुत बाट देखी है सबने..
मून दीदी से सीखूँगा पढ़ना-लिखना, बासु दादा संग बैट चलाऊँगा,
आप हो भाई बहनों में सबसे बड़े, आपसे ही दुनिया की समझ पाउँगा,
बहुत बाट देखी है सबने..
बड़े पापा संग घूमूँगा दुनिया सारी, बड़ी माँ से मन का खाना बनवाऊँगा,
कृष्णा भैया संग करूँगा मस्ती सारी, और अड्डु दीदी से किस्सी करवाउँगा,
बहुत बाट देखी है सबने..
बड़े चाचा से लूँगा फ़ैशन की क्लास, चाची संग सेल्फ़ी खिचवाऊँगा,
अति दीदी से करूँगा पहले झगड़ा, फिर उनको मनाऊँगा,
बहुत बाट देखी है सबने..
छोटे चाचा संग जाऊँगा ऑफ़िस, और छोटी चाची से आइसक्रीम खाऊँगा,
भैया/बहना तो होंगे हमउम्र मेरे, उनको दोस्त बनाऊँगा,
बहुत बाट देखी है सबने..
काका संग बनूँगा वुलेट राजा, काकी संग मूवी जाऊँगा,
छोटा जब आएगा मुझसे जब, ख़ूब अकड़ दिखाऊँगा,
बहुत बाट देखी है सबने...
आप सब रखना सिर पर हाथ मेरे,मैं दुनिया जीत के लाऊँगा,
कुछ दिन की ही है बात अब तो, जल्दी सब से मिलने आऊँगा.
बहुत बाट देखी है सबने..-
जन्मदिन शुभकामना
जन्म दिवस पर आपके, नमन करूँ सौ बार।
भाव सुमन की वंदना, कर लो तुम स्वीकार।।
मिला ज्ञान जो आपसे, बढ़ा जगत में मान।
दोहा,रोला सब लिखूँ, गुरु वर का अहसान।।
भाव शब्द में गूँथ कर, किया शिल्प शृंगार।
गीत,गजल में ढल सभी , हुए सपन साकार।।
आप सदा हँसते रहें, हर दिन हो त्यौहार।
सब इच्छा पूरी करें, सालासर सरकार।।
देखा मैंने आप में, ज्ञान रूप साकार।
करूँ निवेदन आपसे, भर दीजे भंडार।।
तुम बिन डगमग नाव ये, फँसी बीच मझधार।
तुम ही तो पतवार हो, तुम ही खेवनहार।।
इस पतझड़ में आप से, सारे रंग ,बहार।
खाली मन भर दीजिए, देकर ज्ञान अपार।।
पिता रूप में आपकी, माँगू प्रभु से त्राण।
गुरु छवि हूँ पूजती, आप बसे हो प्राण।।
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मेरी आँखो ने तेरी आँखो के एहसास पढ़े है,
कलम का क्या हैं इसने कई फ़नकार गढ़े है।
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प्यार में मेरे पागल था वो,
इश्क़ का सुर्ख बादल था वो।
अपने रंग में मुझे रंग के गया,
रंगरेज कुछ तो घायल था वो।
पाव छनकती पायल था वो,
हुसन का मेरे कायल था वो।
यूँ तो बड़ा गरूर था उसको,
पर मेरे लिये मायल था वो।
अर्जियो वाली फ़ाईल था वो,
आजमाईश का ट्रायल था वो।
नाम दिया भले ही बेवफा उसे,
पर सच ये बड़ा लायल था वो।
मोब का पहल नं डायल था वो,
होटों पर आती स्माइल था वो।
बेवफाई में महोब्बत ढूंढ़ रहा था,
कोई दीवाना बड़ा जाहिल था वो।-
वो मुझे
कभी मीठा सा,
कभी खट्टा सा,
तो कभी
तीखा भी लगता है।
इश्क का कोई दरिया हो,
या कोई
चटपट्टा गोलगप्पा लजिज!
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हार गई साजन पुकार कर तुम्हें,
क्यों इतने शिकवे हैं हमसे तुम्हें।
कल तक तो बातें करते थे मीठी,
नखरों में भी दिखती थी तब तो प्रीती,
आज दो पल का तम्हें वक्त भी नहीं,
बातें करते कितनी रातें थी बीती।
सोचूँ कुछ बोलूँ,
तुझ को टटोलूँ,
बीती यादें याद दिलाऊँ फिर से तुम्हें,
हार गई साजन पुकार कर तुम्हें।
मुझको चाँद का टुकड़ा तुम थे कहते,
कभी आग तो कभी शबनम थे कहते,
अब न वो बातें हैं और न हैं वो सौगात,
कहाँ गये वो दिन जब ज़िंदगी थे कहते।
कुछ कहना चाहूँ,
कुछ सुनना चाहूँ,
इन बाहों में भर लूँ मैं फिर से तुम्हें,
हार गई साजन पुकार के तुम्हें।
सच कहो क्या चैन से तुम जी लेते हो,
बिन तारें गिन क्या रातों को सो लेते हो,
मुझसे तो अब खामोश नहीं रहा जाता,
तुम कैसे अपने होटों को यूँ सी लेते हो।
तुमको था पाया,
तुमको है खोया,
काश अजनबी बनके मिलूँ फिर से तुम्हें।
हार गई साजन पुकार कर तुम्हें।।
देवप्रिया सिंह "अमर-रचना
दुबई,यूएई-
नज़र नज़र से मिलाकर शराब पीते हैं
हम उनको पास बिठाकर शराब पीते हैं
इसीलिए तो अँधेरा है मैकदे में बहुत
यहाँ घरों को जलाकर शराब पीते हैं
हमें तुम्हारे सिवा कुछ नज़र नहीं आता
तुम्हें नज़र में सजाकर शराब पीते हैं
उन्हीं के हिस्से में आती है प्यास ही अक्सर
जो दूसरों को पिलाकर शराब पीते हैं
शायर: तस्नीम फ़ारूकी
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लगता हैं तुमने कभी किसी की याद के दर्द में रोकर नही देखा,
खुशकिस्मत हो तुमने किसी के इश्क़ मे अभी टुट कर नही देखा।-
ये जो ईद का चाँद मुझें साल में कभी कभी दिखता हैं,
तुम्हारी हँसी को कम्बखत बेरुखी ने जो छुपा रखा हैं।-
दे______देवों की दिव्य दृष्टि से दीपित एक दृक्ष हूँ।
व______वचन,वंदना,वात्सल्य वसुंधरा वट-वृक्ष हूँ।
प्रि_____ प्रिय पावन पूर्णिमा के प्रकाश का पृक्ष हूँ।
या______ यज्ञ के यज्ञ-कुंड में आहुतियों का यक्ष हूँ।
अ______ अंजनी के अमर प्रेम का कोई अर्जन हूँ।
म_______ महादेव की महाशक्ति का एक वर्णन हूँ।
र_______ राम की भक्ति में लिये हुये मैं शरणन हूँ।
र_______ राधा की प्रीती में डूबा हुआ कृष्णन हूँ ।
च_______ चाँद की चाँदनी सा बना आकर्षण हूँ ।
ना _______ नारायण नाम को जपता क्षण क्षण हूँ-