प्रकृति की अनुपम कृति हो तुम
बचाए परमेश्वर के प्राण वो सती हो तुम ।
जब बात अाई मातृभूमि की
तो लड़ी वीरांगना वीर से वैसी दुर्गावती हो तुम ।।
जैसा तुम्हे दायित्व दिया जाए नारी
वैसा ही बड़े शोभा से उसे निभाती हो तुम ।
घर के आंगन की सुंगध
फूलो की वाटिका सी मेहकाती हो तुम ।।
जो तनिक बढ़ाई कर दे कोई
तो खिल खिल मुस्काती हो तुम ।
कितनी सरलता से दुखो को
अपने अंदर ही छुपाती हो तुम ।।
जब जहां जरूरत पड़े हमे तो
मां,बहन,पत्नी,दोस्त क्या क्या बन जाती हो तुम ।
इसलिए तो दिल कहेता है
प्रकृति की अनुपम कृति हो तुम ✍️।।-
★सनातनी क्षत्राणियो★
अगर लड़ न सको लक्ष्मी बाई और दुर्गावती बनकर
तो पद्मावती बनकर जौहर कर लेना
मगर कभी किसी लव_जिहाद का शिकार मत होना।
—@सनातनी
-
चंदेलो की बेटी थी वह ,
गोंडवाना की रानी थी।
वीरांगना देवी दुर्गावती की,
अजब गजब कहानी थी।
विधवा तो हो चुकी थी वह ,
फिर मुगलों ने रची ,फसादी थी।
ले तलवार, रण में उतर पड़ी,
वह दुर्गावती भवानी थी ।
दुर्गाअष्टमी को जन्म ली ,वह ,
रख दिए नाम दुर्गावती थी ।
कर्म धर्म सब कुछ वैसा ही,
वह तो सचमुच माता सती थी।
जब पड़ने लगे शत्रु भारी ,वह ,
उनके हाथों से मरना,न गवारी थी।
फिर ले कटारी उस मईया ने,
अपना बलिदान दे डाली थी ।
थी चंडी ,दुर्गा ,काली वह ,
मां रणचंडी भवानी थी ।
वीरांगना देवी दुर्गावती की,
अजब गजब कहानी थी ।
अजब गजब कहानी थी .....
— % &-
साक्षात दुर्गा का स्वरूप, क्रांतिकारी वीरांगना,
गोंडवाना की रणचंडी, क्षत्राणी रानी दुर्गावती।-
युद्धभूमि में साक्षात रणचंडी की अवतार क्षत्राणी,
गोंडवाना साम्राज्य की महारानी दुर्गावती भवानी।-
अदम्य साहसी, क्रांति की प्रखर हुंकार थी,
वो रणचण्डी दुर्गा का साक्षात् अवतार थी।-
आखिरी सांस तक मुग़ल सेना से लड़ने वाली क्षत्राणी,
गोंडवाना साम्राज्य की गौरव रणचण्डी रानी दुर्गावती।-