पाखण्ड का चोला पहन कर
खुद को वो पण्डित बताते हैं
दो शब्द शास्त्र के पूछ लिए
तो वो मुझे ही मूर्ख दिखाते हैं-
यदि खुश रहना है तो
दिखावा का जिंदगी जीना छोड़ दो
आधा टेंशन ऐसे ही खत्म हो जाएगा ।-
फल चाहे कोई भी हो"
हर किसी को उसका
बाह्य रंग ही भाता हैं.
कडवाहट भरा उसके"
अंदर का स्वाद
भला किसे नजर आता हैं.
कभी कभी देखकर "
आंसूओको इंसान भी
पिघल जाता हैं
मगर उसके पीछे
दिखावे का अपनापन
और मन में छुपे
स्वार्थी भाव को वो
कहा समज पाता हैं.
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लहज़े समझ आ जाते हैं
मुझे लोगो के....!?
बस मुझे लोगो को शर्मिंदा करना
अच्छा नहीं लगता.....!?-
देर से ही सही लोग बदलते जरूर हैं.....
हम सही है या गलत लोग परखते जरूर हैं...!
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हर वक्त नया चेहरा, हर वक्त एक नया वजूद
आदमी ने आइने को सच में हैरत में डाल दिया....-
आज कल झूठ बहुत बोला जाता है....
नकली हंसी...दिखावा प्यार...
और busy ना होने पर भी busy हूं कहना-
दस मुखौटे लगाकर वो बाकींयो की
तारीफे करता है,
और मेरे पास ओ एक दो महीने बाद
अलग कोई 1 बनकर दिल तोडने आता है,-
बहुत कीमत चुकाया हूं तजुर्बे जुटाने में
अब सब्दो से नहीं आंखो से सुना देता हूं।-
पहन कर चोला ,टाँग कर झोला
वो ज्ञान बाँटने आते है।।
भगवन का झूठा खौफ दिखा कर
सबको ठग ले जाते है।-