गांव की चौपाल पर,
रिश्ते की बातों पर,
काग़ज़ के पन्नो पर,
जहन के कोने पर,
ऊभर जाती रही।।
मकान के दरवाज़े पर,
गाड़ियों के शीशे पर,
जुबां के पोरों पर,
आरक्षण के नाम पर,
उकेरी जाती रही ।।
दंभ के मुहाने पर,
नाम के बहाने पर,
वोट के नाम पर,
जिंदगी गुज़र जाती रही,
जाति है की जाती नहीं।।-
14 AUG 2022 AT 11:09