जो तुम ने पहली बातचीत में हम से कहा था...
भूल नहीं पाएगें हम कभी,
जो हुआ मंजूर खुदा को कि तुम्हे भूल जाना पड़े,
तब भी याद रहेगा!!
तुम्हारा एक एक शब्द.......
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रातें गुजारनी पड़ती हैं,
जब प्यार से माथा चूम कर,
सुलाने वाली "माँ" घर पर नहीं होती....-
तुम से,
ख़्याल रखा करो अपना,
इस महामारी के दौर में,
हम ना रहे तो??
तब भी तो हमे याद करके
अपना ख़्याल रखोगे ना!!! 😊-
जो दोस्ती सिर्फ हम से करे,
ऐसा नहीं है कि कोई दोस्त नहीं हमारे,
हैं!!कहने को कई सारे हैं,
लेकिन कुछ को वक्त नहीं है,
कुछ वक्त गुजा़रने को याद करते हैं,
कुछ इधर-उधर के किस्से
जान ने को याद करते हैं,
तो कुछ पहचान जान ने को.......
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कि जिंदगी में गम है, या गम में जिंदगी.....
मगर क्या फर्क पड़ता हैं,अब इन बातों से
दोनो में सहना तो हमे ही को है...........-
ना किसी से शिकायत है ना अनबन हैं,
बस कुछ दिन अकेले चलने का मन है!!
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वक्त गुज़र रहा है,
हमे तो डर हैं, कही तुम सोचते ही ना रह जाओ,
और हम भी गुज़र जाए.......-
शिकायतें भी कितनी अजीब होती हैं ना,
सोचने लगो तो रात बीत जाएगी,
और करने लगो तो,
एक भी याद नहीं आयेगी.....
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