जिस में हो रही थी उन से मुलाकात
हाथों में हाथ लिए हम बैठें थे
तब भी
आँखों में मिलने के ख़्याल लिए ही बैठें थे...-
हमें कभी मिले ही ना होते
यें मुहब्बत के फूल खिलें ही ना होते
अकेले खुश थे हम अपनी जिंदगी में तुम से पहले
काश ये दिल से दिल कभी मिले ना होते...
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तो वहीं जान सकता हैं,
जिसने शिद्दत से मुहब्बत कि हो,
फिर चाहे किसी इंसान से की हो या अपने लक्ष्य से कि हो||-
एक अनदेखी-सी डोर हैं
हमारे बीच
जिसने जोड़ रखा हैं
हमे एक प्यारे-से रिश्ते में
थोड़े अनसुलझे से रिश्ते में
एक अनोखे अनदेखे-से रिश्ते में.....
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तो अपने गिले-शिकवें मिटा कर मिलना
क्युकि,
अब मुझे तुम्हें दूर से नहीं देखना
तुम्हारे पास बैठकर तुम्हें महसूस करना हैं....-
रुकने वाला वजह ढुंढता हैं!
और
जाने वाला बहाने!!
अब जब भी आओ
तो सोच-समझकर आना....
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बीता हुआ साल उनसे "फोन पर बात "करने में ही
बीत गया,
आशा करते हैं,
ये नया साल उनसे "मुलाक़ातों "में बीत जाए....-
बेवजह बोलने से बेहतर है,
चुप रहे,
या फिर ऐसे शब्द बोले,
जो मौन से ज्यादा किमती हो....-