QUOTES ON #जागृति

#जागृति quotes

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5 JAN 2020 AT 8:06

दिन- रात भू तपती है
आव्हान करती है
पिपासा अमृत की
प्राण प्रिये उबलती है
जग-जल , भू-थल
कर भाग पिघलती है
अनिल-अनल , वात-जल
सब उगलती है
धरा सुंदरी
जग-मग-जग-मग
प्रणय प्रभात करती है !

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31 DEC 2019 AT 15:52

साल भर की ज़िन्दगी को समेट
एक डायरी फिर रद्दी होने को है

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3 MAR 2020 AT 21:49

जैसे पतझड़ में सूखे पत्ते झड़ने पर

ठूँठ अकेला रह जाएगा पीछे

मैं रहूंगी बिन आत्मा के इस तन में....


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19 DEC 2019 AT 21:27

मै चाहती हूँ धरा पर आए
एक दिन, जब नष्ट हो जाए
वो जातियाँ धर्म मज़हब सब
ना मन में द्वेष दिखे ना ही ज़हन में गंदगी
वो भेद रंग- रूप का सब
घुल जाए खारे समन्दरो में कहीं
भाषाएं सारी उड़ जाए हवा में मिलकर
मन दुखी कर रही ये असमानता जल जाए
ग्लोब पर बनी ये टुकड़ों की सीमाएं धुल जाए
संसार में फिर इंसान दिखे... श्वास लेते हुए

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16 JAN 2020 AT 6:58

लहर कहे ह्रास समय का
लोप रहे मिलन का
आतुर है हृदय
कूल पर आने को
मांगे क्षण भर श्रृंगार का!

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22 OCT 2019 AT 15:03

सुरम्य तन उजला मुख और आकर्षक परिधान
मन कैसा है भीतर से ? नहीं हो पाता ज्ञान
जिव्हा से निकले शब्दों से होता संस्कारो का भान

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10 DEC 2019 AT 11:09

हमें सुधरने की ज़रूरत है
हां.... हमें ही,
हम ही तो बना रहे हैं ना ये समाज |
पग -पग पर व्यथाएं बट रही है
हमारे विचारो से,
हर पल कोई मर रहा है
हमारे तिरस्कारो से,
हमारेे द्वारा की गई टिप्पणीयां खतरनाक है |
ये कचोट रही है
किसी के मन किसी के चरित्र को,
अब इस सोच को हमारी बदलने की ज़रूरत है |
ये तोड़ रही है
किसी का विश्वास हम पर,
हां.. हमें ही सुधरने की ज़रूरत है |

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15 FEB 2020 AT 10:15

मृषा मुरेठा बंधे
शीश हुआ चौगुना
दर्प बहा जब चक्षुजल में
फिर सहे अवमानना

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29 JAN 2020 AT 6:00

स्वयं की वृति
तय करे कृति

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14 OCT 2019 AT 23:36

वाचा करे हताहत
छोड़े शर लिए वैश्वानर

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